Economy: बेचान, निजीकरण नही: पूजा आर झीरीवाल

यह वह कल्याणकारी योजना है जिसके लिए जनता सरकार बनाती है। यह वह आधार है जो देश को विकसित देश की श्रेणी में रखता है । जापान की अगर बात … Read More

Religion is the way of prosperous life: धर्म ही है समृद्ध जीवन का मार्ग: गिरीश्वर मिश्र

Religion is the way of prosperous life: भारतीय मूल की प्रमुख धार्मिक विचार प्रणालियाँ (सनातन/हिन्दू, जैन, बौद्ध, सिख) धर्म को कर्तव्य, आदर्श, विवेक और औचित्य के सिद्धांतों के पुंज के … Read More

Important language questions: भाषा के जरूरी सवाल: गिरीश्वर मिश्र

यह अवश्य है कि भारत की एकता भाषा पर ही नहीं टिकी है परन्तु प्राचीन इतिहास में भाषिक विविधता राष्ट्रीय एकता के रास्ते कभी बाधा रही हो ऐसा उल्लेख नहीं … Read More

Goswami Tulsidas: मानव जीवन का व्यापकतर प्रयोजन: गिरीश्वर मिश्र

यह शरीर हमें एक ठोस आधार प्रदान करता है और ज्ञानेन्द्रियों और कर्मेन्द्रियों की सहायता से हम विभिन्न कार्य संपादित करते हैं. मानस (अंत:करण), बुद्धि और अहंकार मिल कर हमारे … Read More

Buddha Purnima: बुद्ध का स्मरण संतप्त जीवन की औषधि है: गिरीश्वर मिश्र

Buddha Purnima: हम सभी अच्छी तरह जीना चाहते हैं परन्तु दिन प्रतिदिन की उपलब्धियों का हिसाब लगाते हुए संतुष्टि नहीं होती है । दिन बीतने पर खोने पाने के बारे … Read More

unity is diversity: एकता ही विविधता में परिलक्षित होती है: गिरीश्वर मिश्र

unity is diversity: आए दिन यह तर्क किसी न किसी कोने से तथाकथित बुद्धिजीवी वर्ग पेश करता रहता है कि भारत की विविधता की अनदेखी हो रही है । वह … Read More

Concentrated literature dialogue: गहन अस्तव्यस्तताओं के काल में एकाग्र साहित्य संवाद: गिरीश्वर मिश्र

यह भी है कि अब सभ्यता , समाज और संस्कृति के व्यापक सरोकार यदि उठाए जाते हैं तो वे बाज़ार में स्थित उपभोक्ता व्यक्ति के मनो-जगत की परिधि में ही … Read More

World Earth Day: जीना है तो धरती की भी सुनें: गिरीश्वर मिश्र

जाने कब से यह धरती मनुष्यसमेत सभी प्राणियों , जीव – जंतुओं और वनस्पतियों आदि के लिए आधार बन कर जीवन और भरण-पोषण का भार वहन करती चली आ रही … Read More

Entrance and Examination: प्रवेश और परीक्षा के भँवर में शिक्षा: गिरीश्वर मिश्र

भारत की जनसंख्या में युवा-वर्ग के अनुपात में वृद्धि के साथ शिक्षा व्यवस्था पर दबाव बढ़ता जा रहा है । लोकतांत्रिक व्यवस्था में ‘सर्वोदय’ की भावना भी है और हमारी … Read More

Ram Navami: ऐश्वर्य और सहज आत्मीयता की अभिव्यक्ति श्रीराम: गिरीश्वर मिश्र

Ram Navami: सनातनी यानी सतत वर्त्तमान की अखंड अनुभूति के लिए तत्पर मानस वाला भारतवर्ष का समाज देश-काल में स्थापित और सद्यः अनुभव में ग्राह्य सगुण प्रत्यक्ष को परोक्ष वाले … Read More