Language: देश की सामर्थ्य के लिए चाहिए भाषाओं का पोषण: गिरीश्वर मिश्र

भाषा (Language) मनुष्य जीवन की अनिवार्यता है और वह न केवल सत्य को प्रस्तुत करती है बल्कि उसे रचती भी है I वह इतनी सघनता के साथ जीवन में घुलमिल … Read More

Professor Durganand Sinha: संस्कृति-संवाद के आग्रही मनोविज्ञानी प्रोफ़ेसर दुर्गानन्द सिन्हा (1922-1997)

Professor Durganand Sinha: मनुष्य होना एक सांस्कृतिक उपलब्धि है और संस्कृति में रह कर सृजनात्मक संवाद करते हुए ही मनुष्यों के बारे में प्रामाणिक और उपयोगी ज्ञान पाया जा सकता … Read More

Super Tech’s multi-storey twin towers: हम कहाँ जा रहे हैं ?

उत्तर प्रदेश के मंत्री का बयान था कि जाँच के अनुसार उचित कार्रवाई की जाएगी। कुल मिला कर यह पूरा घटना चक्र भारत में भ्रष्टाचार की व्यापक उपस्थिति के ऊपर … Read More

Teacher’s day: गुणवतापूर्ण शिक्षा का कोई विकल्प नहीं है: गिरीश्वर मिश्र

ताजी रपट के अनुसार वैश्विक मानव विकास के सूचकांक में नार्वे सबसे ऊपर है और वह पूरे विश्व में शिक्षा पर सबसे ज़्यादा खर्च करने वाला देश है। भारत 189 … Read More

India’s future: मानसिक ग़ुलामी से मुक्ति और भारत का भविष्य: गिरीश्वर मिश्र

स्वतंत्रता की भ्रामक चेतना में ग़ुलाम अपने आका की ख़ुशी में ही अपनी भी ख़ुशी देखता है. ग़ुलामी की सोच या मनोवृत्ति (माइंड सेट) संकुचित या प्रतिबंधित दृष्टि के साथ … Read More

Lord shri krishna: कर्मयोगी श्रीकृष्ण, जियो तो ऐसे जियोः गिरीश्वर मिश्र

Lord shri krishna: जिंदगी खेने की सारी कशमकश इन्हीं को लेकर चलती रहती है और आज की दुनिया में हर कोई कुंठा और तनाव से जूझता दिख रहा है और … Read More

Freedom and its true nature: स्वतंत्रता एवं उसका वास्तविक स्वरूप

वास्तव में अगर देखा जाए तो किसी भी देश के लिए स्वतंत्रता प्राप्त करने से भी मुश्किल है, स्वतंत्रता को उसके उचित उद्देश्यों के साथ लेकर सुनिश्चित मार्ग पर आगे … Read More

Independent india: स्वतंत्र भारत में स्वराज की प्रतिष्ठा: गिरीश्वर मिश्र

Independent india: देश या राष्ट्र का भौगोलिक अस्तित्व तो होता है पर वह निरा भौतिक पदार्थ नहीं होता जिसमें कोई परिवर्तन न होता हो। वह एक गत्यात्मक रचना है और … Read More

Sanskrit language: संस्कृत है जीवन-संजीवनी !

यह भाषा ही है जो हमारे अनुभव के देश–काल को स्मृति के सहारे एक ओर अतीत से जोड़ती है तो दूसरी ओर अनागत भविष्य को गढ़ने का अवसर देती है. … Read More

Dignity in public life: सार्वजनिक जीवन में मर्यादा की जरूरत है

आज की स्थिति में धन–बल, बाहु-बल, परिवारवाद के साथ राजनीति के किरदारों की अपराध में संलिप्तता किस जोर-शोर से बढ़ती जा रही है वह चिंता का विषय हो रहा है. … Read More