Fareb hai daga hai ye: फरेब है दगा है ये ,मोहब्बत में रवानी है
!! ग़ज़ल !! (Fareb hai daga hai ye) फरेब है दगा है ये ,मोहब्बत में रवानी हैकहां अब कोई लैला है,जो मजनू की दीवानी है नसीहत जाते जाते दी,किसी फकीर … Read More
!! ग़ज़ल !! (Fareb hai daga hai ye) फरेब है दगा है ये ,मोहब्बत में रवानी हैकहां अब कोई लैला है,जो मजनू की दीवानी है नसीहत जाते जाते दी,किसी फकीर … Read More
~~गजल~~ शरीर की उम्र बरसो में मापते है परमन का भी क्या कोई पैमाना होता है। ये जिस तजुर्बे की बात करते है लोगवो दिमाग है जो काफ़ी सयाना होता … Read More
ग़ज़ल मेरी आवाज़ से आवाज़ मिलाता है कौनप्यार के गीत सरे-बज़्म सुनाता है कौन एक मुद्दत हुई है,मैंने भुलाया था उसेफिर मेरे ख़्वाबों में चुपके से ये आता है कौन … Read More
श्रम पर्व पर विशेष रूप से ये गजल जो थकता है थककर के चूर होता हैअपने कमाए हर निवाले पर उसे गुरुर होता है जी तोड़ मेहनत कर जो अपना … Read More
ग़ज़ल~ धोका क्यों है हर मंज़िल पर धोका क्यों हैमौसम बदला-बदला क्यों है महँगे-महँगे सारे खिलौनेमेरा दिल फिर सस्ता क्यों है रिश्ते सारे तोड़ चुका जोख़्वाब में चुपके आता क्यों … Read More