Fareb hai daga hai ye: फरेब है दगा है ये ,मोहब्बत में रवानी है
!! ग़ज़ल !! (Fareb hai daga hai ye)
फरेब है दगा है ये ,मोहब्बत में रवानी है
कहां अब कोई लैला है,जो मजनू की दीवानी है
नसीहत जाते जाते दी,किसी फकीर ने मुझे
खुशी से जी मुशाफिर, चार दिनों की जवानी है
नहीं मरता है कोई भी,बिछड़ जाने से किसी के
सदियों से देखी हमने, कहानी बहुत पुरानी है
ये सिलसिला देखा है,हमने मोहब्बत में दीवानों
जिन्होंने दिल लगाया उनकी ही आंखों में पानी है
सुनाये भी किसे ‘ओजस’ इश्क-ए-गम-ए-लतीफे
हमारी भी तेरे जैसी बड़ी दर्द भरी कहानी है
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