India v/s Bharat: जब लोहा गरम हो, तब हथौड़ा मार देना चाहिए
India v/s Bharat: सोशियल मिडिया में लोग गर्व से ‘भारत’ लिख रहे हैं. लोगों के उत्साह, उमंग को देखते हुए सरकार को ये कदम उठा ही लेना चाहिए.
India v/s Bharat: देश में G20 में आये राष्ट्राध्यक्षों से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मुलाकात का दौर चालू है और साथ ही विश्व में भारत का परचम लहरा रहा है. दिल्ली में जारी G20 शिखर सम्मेलन में भारत की कूटनीतिक बड़ी जीत हुई है.
G20 सम्मेलन की समाप्ति के साथ ही जो मुद्दा फिरसे गरम होगा वो, 18 से 22 तक का विशेष सत्र. हालांकि, संसद के इस विशेष सत्र का एजेंडा क्या होगा, इस बारे में आधिकारिक तौर पर कुछ भी नहीं बताया गया है. फिर भी अनेक तर्क और अनेक अपेक्षित मुद्दों की चर्चा ने जोर पकड़ा है.
विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A में हलचल मची हुई है, कुछ नेताओंने यहाँ तक कहे दिया कि सरकार लोकसभा चुनाव वक्त से पहले करा सकती है लेकिन ये तर्क ही कुतर्क है. सरकार के पास अभी अगर अप्रैल में चुनाव होते है तो, सात महीने है और इस सात महीने का सरकार पूरा लाभ उठाना चाहेगी. अनेक योजनाओं और निर्माण जो पूरी हुई है, पूरी हो रही है या पूरी होने वाली है, उसका उद्घाटन समारंभ आयोजित किया जाएगा.
जिसमें भव्य राम मंदिर का उद्घाटन और प्रभु श्री राम का प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम शामिल है. जिसके साथ दुनिया भर के हिन्दुओ की आश्था जुडी हो, जिस पार्टी का दशकों से राम मंदिर निर्माण प्रमुख एजेंडा रहा हो, वो भला ये मौका खो देगी क्या! संभवतः 22 जनवरी 2024 को भगवान श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हो सकती है. उसके अलावा अनेक योजनाओं की घोषणा और शिलान्यास भी होगा, तो वक्त से पहले चुनाव सोचना राजकीय समझ की कमजोरी दर्शाता है.
विशेष सत्र में ‘एक देश एक चुनाव’ बिल को पेश किया जा सकता है. लेकिन इसकी भी संभावना कम है, क्योंकि अभी तो कमिटी का गठन हुआ है और इतने कम दिनों मे, इतना बड़ा फैसला लेने के लिए कमिटी सुझाव देने में असमर्थ है. हालांकि कमिटी को ‘एक देश एक चुनाव’ कैसे लागू है, कैसे मुमकिन हो सकता है वो बताना है ना कि ‘एक देश एक चुनाव’ करना या ना करना.
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तीसरी लेकिन सबसे प्रबल प्रमुख संभावना राष्ट्रपति द्वारा G20 समिट के निमंत्रण पत्र सामने आने के बाद शुरू हुई चर्चा की है, क्या भारत का अंग्रेजी नाम इंडिया बदला जाएगा? भारत आने वाले देशों के राष्ट्राध्यक्षों को राष्ट्रपति भवन में दिए जाने वाले राजकीय भोज के दौरान निमंत्रण पत्र पर ‘प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया’ की जगह ‘प्रेसिडेंट ऑफ भारत’ (India v/s Bharat) प्रयोग किया गया और उसके बाद PM मोदी के इंडोनेशिया दौरे का पत्र आया सामने आया उसमें भी ‘द प्राइम मिनिस्टर ऑफ भारत’ लिखा गया. इतना ही नहीं, G20 समिट के दौरान पीएम मोदी के आगे रखी नेमप्लेट पर भारत दिखा है जो बड़ा संदेश माना जाता है.
देश में G20 समिट के समापन के बाद सबसे बड़ा मुद्दा ये ही रहने वाला है. केंद्र सरकार ने भारत नाम पर अचानक जिस तरह जोर डालना शुरू किया, वो विपक्ष को हजम नहीं हुआ. इसलिए विपक्ष इसे मुद्दा बना कर केंद्र सरकार पर लगातार हमला कर रहा है, विपक्ष ये कह रहा है कि इनके गठबंधन I.N.D.I.A. को देखते सरकार घबरा रही हैं, इसलिए इंडिया का नाम बदलकर भारत किया जा रहा है.
प्रमुखतः कांग्रेस की स्थिति विचित्र हो गई है, कांग्रेस बिना कुछ सोचे समझे सरकार के हर कदम का विरोध ही कर रही है. वास्तव में देश का असली और पुराना नाम भारत ही है, इसलिए ये तर्क देना – सरकार इंडिया का भारत कर रही है, वो कुतर्क है. जब संविधान में ही इंडिया धेट इज भारत लिखा हुआ है तो फिर देश को असली नाम से पुकारने पर ऐतराज क्यों? कांग्रेस इतनी आग बबूला है कि विरोध की जल्दबाजी में आम जनता को ही भूल जाती है.
देश की ज्यादातर आम जनता को इंडिया शब्द कहाँ से आया, किसने रखा उससे कोई मतलब ही नहीं है. आम जनता के लिए तो ‘भारत’ ही गर्व, सम्मान, आज़ादी है, इंडिया नाम को गुलामी से जोड़ा जाता है. हकीकत तो ये है कि अब सरकार के लिए भी ‘इंडिया या भारत’ चुनौती बन जाएगा.