Muskurana sikh rahi: मुस्कुराना सीख रही हूँ: ममता कुशवाहा

मुस्कुराना सीख रही (Muskurana sikh rahi) Muskurana sikh rahi: मुस्कुराना सीख रही हूँतुम्हारे बिना जीना सीख रही हूँहाँ आज फिर से मुस्कुराना सीख रही हूँजो तुम्हारे जाने के साथ-साथचेहरे से … Read More

Mai bharat hu: मैं भारत हूं, जी हाँ भारत

मैं भारत हूं (Mai bharat hu) Mai bharat hu: मैं भारत हूं, जी हाँ भारतजिसने संपूर्ण दुनिया कोठीक से गिनती सिखलाईजिसका वृतांत सतत हीगौरवशाली रहा जहां मेंजिसे जाना जाता थाविश्व … Read More

Feelings of winter: चाय की बेशुमार चुस्कियों में एहसास दिलाती है सर्दियों की

सर्दियां (Feelings of winter) Feelings of winter: शिशिर की सुहानी सुबह मेंगुलाबी- गुलाबी किरणों मेंओस की अस्पृष्ट बूंदों मेंफूलों के विविध सुवास मेंएहसास दिलाती है सर्दियों की ! रजाई की … Read More

Zindagi: ऐ जिंदगी, तू लोगों से इम्तिहान क्यों लेती है…..

Zindagi: !!जिंदगी!! Zindagi: ऐ जिंदगी, तू लोगों सेइम्तिहान क्यों लेती हैजिनकी उम्र अदक्षता कीउससे बेगारी क्यों करवाती हैजो दो दिन से कुछ खाया ना होउससे जाके पूछिए ‘जनाब’कि भूख क्या … Read More

When a man is born: जब एक पुरुष जन्म लेता है, तो जन्म लेती है कई जिमेदारियाँ

!! पुरुष !! When a man is born जब एक पुरुष जन्म लेता है (When a man is born)तो जन्म लेती है कई जिमेदारियाँजन्म लेते है माँ- बाप के कई … Read More

Literary poetry seminar: साहित्यिक संस्था ‘जिला अदब गोशा बड़वानी’ द्वारा साहित्यिक काव्य-गोष्ठी आयोजन

“सदा तय्यार रहता हूं,वतन पे जान लुटाने को” Literary poetry seminar: जिले के विभिन्न शहरों से जुड़े शायरों एवं कवियों ने अपनी रचनाएँ प्रस्तुत कीं अहमदाबाद, 02 फरवरीः Literary poetry … Read More

Kavya Goshthi in rajpur: साहित्यिक संस्था ‘जिला अदब गोशा बड़वानी’ द्वारा काव्य-गोष्ठी का आयोजन

Kavya Goshthi in rajpur: उठो पैग़ाम उल्फ़त का जहाँ में आम करना है, अमन का जो भी दुश्मन है उसे नाकाम करना है राजपुर, 07 दिसंबरः Kavya Goshthi in rajpur: … Read More

Kavya Goshthi: महिला काव्य मंच की अहमदाबाद पश्चिम इकाई द्वारा काव्य गोष्ठी का आयोजन

Kavya Goshthi: एक का मतलब “अकेला” और दो का अर्थ होता है साथ अहमदाबाद, 06 दिसंबरः Kavya Goshthi: एक का मतलब “अकेला” और दो का अर्थ होता है साथ। जब … Read More

Nature: हमारे जीवन की डोर हमारे पास नहीं, रोज एक पेड़ है कटता कहीं

Nature: !!प्रकृति!! Nature: मैं बेघर हूं, मनुष्य से मेरा नाता खूंटे से बंधी उस रस्सी की तरह है जो हर दिन कमज़ोर हो रहाहमारे जीवन की डोर हमारे पास नहींरोज़ … Read More

Ajeeb sa hai kissa: अजीब सा है किस्सा: ममता कुशवाहा

Ajeeb sa hai kissa: अजीब सा है किस्सा अजीब सा है किस्सा ये गाँव काहा अजीब सा हिस्सा ये गाँव काकिस्सा गाँव -शहर, घर -घर कापूराने रीति-रिवाजों का टूटने का … Read More