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Thoughts & Attitude: युग बदला पर लोगों का नज़रिया नहीं

Thoughts & Attitude: आज के दौर में भी शादी के मामले लड़कियों को उनकी शिरत से ज्यादा सुरत से परखा जाता है बोले तो शादी के नाम पर सौदा(दहेज प्रथा) किया जाता है

Thoughts & Attitude; आज आधुनिकता के दौर में जहाँ लड़की किसी भी मामले में जब लड़को से कम नहीं हर क्षेत्र में लड़की अपना नाम कर रही चाहे खेल क्षेत्र में गोल्ड मेडल लाने में, हवाई जहाज में उड़ान भरने से लेकर देश के राष्ट्रपति तक बनने में, फिर भी कुछ लोगों लड़कियों को अब भी हीन नजर से देखते हैं उन कुछ लोगों के लिए लड़की का जन्म मात्र शादी कर चुल्हा -चौका करने के लिए हुआ है और उनके नजरिये में जो लड़कियां अपने हक के लिए थोड़ा बोले पड़े तो वह लड़की बेहया, बद्तमीज आदि कई निर्लज्ज,अतरंगी परिभाषा से संबोधित की जाती है और उसी तरह के लोगों के डर आज के आधुनिकता के दौर में भी लड़कियों को अपने अरमानों का गला घोटना पड़ जाता है.

लड़कियां खुद ऐसा नहीं करती पर उन लड़कियों का पालन पोषण ही कुछ इस तरह से किया जाता है कि उनकी मानसिकता भी यही मान लेने को तैयार हो जाती है और तैयार नहीं होती है तो लोग उसे मजबूर कर देते परिवार के मान -सम्मान फलना -डिफकाना इत्यादि का नाम लेकर बस यूही आज मन हुआ तो लिखने लगी अपने ऊपर कोई ना ले…..

आज के दौर में भी शादी के मामले लड़कियों को उनकी शिरत से ज्यादा सुरत से परखा जाता है बोले तो शादी के नाम पर सौदा(दहेज प्रथा) किया जाता है हर तरह से लड़को से ज्यादा लड़कियों को परखा जाता है पर सवाल उठता है किस हद तक ये सही है ?? क्या लड़की को अपने जिन्दगी का फैसला करने का हक नहीं आखिर क्यों आज भी लड़कियां अपने इच्छा के विरुद्ध अपने ही ख्वाहिशों को दबा देती है आखिर कबतक ये सब होता रहेगा ….

क्या लड़कियों को अपने आत्मनिर्भर होने के लिए सोचना पाप है? अपने हक़ के लिए बोलना गलत है….?? और जब गलत ना है तो लोग क्यों एक लड़की के अपने लिए अपने हक के लिए बोलने पर अनेक प्रकार की टिप्पणियां जैसे बद्तमीज, बेशर्म इत्यादि से संबोधित करने लगते हैं? ✍️ममता कुशवाहा

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