Paandity-parampara: पांडित्य-परम्परा की अनोखी सम्पदा रक्षणीय है: गिरीश्वर मिश्र

वाचिक पद्धति से सीखने और याद करने की अपनी सीमाएँ हैं । वाचिक ढंग से ग्रहण कर किसी सामग्री को स्मृति में बनाए रखने के लिए किसी तकनीकी उपकरण की … Read More

World mental health day: जीवन में आरोग्य है समृद्धि का द्वार: गिरीश्वर मिश्र

10 अक्टूबर विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस( World mental health day) ‘जीवेम शरद: शतम्’ !(World mental health day) भारत में स्वस्थ और सुखी सौ साल की जिंदगी की आकांक्षा के साथ … Read More

Gandhi Jayanti 2022: स्वराज का बिम्ब और स्वदेशी का संकल्प: गिरीश्वर मिश्र

Gandhi Jayanti 2022: गांधी जी विभिन्न धर्मावलम्बियों में राष्ट्र की दृष्टि से कोई भेद नहीं देखते। उनका विश्वास था की ‘ हिंदुस्तान में चाहे जिस धर्म के आदमी रह सकते … Read More

Language: देश की सामर्थ्य के लिए चाहिए भाषाओं का पोषण: गिरीश्वर मिश्र

भाषा (Language) मनुष्य जीवन की अनिवार्यता है और वह न केवल सत्य को प्रस्तुत करती है बल्कि उसे रचती भी है I वह इतनी सघनता के साथ जीवन में घुलमिल … Read More

Professor Durganand Sinha: संस्कृति-संवाद के आग्रही मनोविज्ञानी प्रोफ़ेसर दुर्गानन्द सिन्हा (1922-1997)

Professor Durganand Sinha: मनुष्य होना एक सांस्कृतिक उपलब्धि है और संस्कृति में रह कर सृजनात्मक संवाद करते हुए ही मनुष्यों के बारे में प्रामाणिक और उपयोगी ज्ञान पाया जा सकता … Read More

Super Tech’s multi-storey twin towers: हम कहाँ जा रहे हैं ?

उत्तर प्रदेश के मंत्री का बयान था कि जाँच के अनुसार उचित कार्रवाई की जाएगी। कुल मिला कर यह पूरा घटना चक्र भारत में भ्रष्टाचार की व्यापक उपस्थिति के ऊपर … Read More

Teacher’s day: गुणवतापूर्ण शिक्षा का कोई विकल्प नहीं है: गिरीश्वर मिश्र

ताजी रपट के अनुसार वैश्विक मानव विकास के सूचकांक में नार्वे सबसे ऊपर है और वह पूरे विश्व में शिक्षा पर सबसे ज़्यादा खर्च करने वाला देश है। भारत 189 … Read More

India’s future: मानसिक ग़ुलामी से मुक्ति और भारत का भविष्य: गिरीश्वर मिश्र

स्वतंत्रता की भ्रामक चेतना में ग़ुलाम अपने आका की ख़ुशी में ही अपनी भी ख़ुशी देखता है. ग़ुलामी की सोच या मनोवृत्ति (माइंड सेट) संकुचित या प्रतिबंधित दृष्टि के साथ … Read More

Independent india: स्वतंत्र भारत में स्वराज की प्रतिष्ठा: गिरीश्वर मिश्र

Independent india: देश या राष्ट्र का भौगोलिक अस्तित्व तो होता है पर वह निरा भौतिक पदार्थ नहीं होता जिसमें कोई परिवर्तन न होता हो। वह एक गत्यात्मक रचना है और … Read More

Sanskrit language: संस्कृत है जीवन-संजीवनी !

यह भाषा ही है जो हमारे अनुभव के देश–काल को स्मृति के सहारे एक ओर अतीत से जोड़ती है तो दूसरी ओर अनागत भविष्य को गढ़ने का अवसर देती है. … Read More