गणतंत्र है एक वृन्द वाद्य !

भारत एक विविधवर्णी संकल्पना है जिसमें धर्म, जाति, भाषा, क्षेत्र , रूप-रंग , वेश-भूषा , नाक-नक्श और रीति-रिवाज आदि की दृष्टि से व्यापक विस्तार मिलता है. यह विविधता यहीं नहीं … Read More

आध्यात्म द्वारा सामाजिक सम्पोषण का स्वप्न

‘सन्यास’ को अक्सर दीन-दुनिया से दूर आत्मान्वेषण की गहन और निजी यात्रा से जोड़ कर देखा जाता है। मुक्ति की ऐसी उत्कट अभिलाषा स्वाभाविक रूप से मनुष्य को अंतर्यात्रा की … Read More

भारतीय किसान की चुनौतियां सुलझानी जरूरी हैं.

भारत बहुत दिनों से गाँवों की धरती के रूप में पहचाना जाता रहा है. भारत के परम्परागत सामाज के मौलिक प्रतिनिधि के रूप में गाव को लिया गया . सन … Read More

सांस्कृतिक चेतना के उन्नायक भारत रत्न महामना पं मदन मोहन मालवीय

सात्विक आहार, विचार और व्यवहार वाले महामना एक सनातनी , नि:स्पृह और उदार भाव वाले हिंदू धर्म सच्चे प्रतिनिधि थे. महामना वस्तुत: भारतीयता के साक्षात विग्रह सरीखे थे. संस्कृत, हिंदी … Read More

Public agenda for the new year; नए साल का जन एजेंडा क्या कहता है: गिरीश्वर मिश्र

इस अवसर पर देश की स्थिति पर गौर करते हुए वे अधूरे काम भी याद आ रहे हैं जो देश और समाज के लिए अनिवार्य एजेंडा प्रस्तुत करते हैं . … Read More

भारतीय ज्ञान परम्परा और भाषा को बंधक से छुड़ाने का अवसर

पिछले दिनों काशी में देव दीपावली के पावन अवसर पर प्रधानमंत्री जी ने देवी अन्नपूर्णा की मूर्ति को , जिसे तस्करी में चुरा कर एक सदी पहले कनाडा की रेजिना … Read More

गीता का संदेश

आज के दौर में चिंता, अवसाद और तनाव निरन्तर बढ रहे हैं. बढती इछाओं की पूर्ति न होने पर क्षोभ और कुंठा होती है . तब आक्रोश और हिंसा का … Read More

घड़ी परीक्षा की है पर हिम्मत न हारें

आज कोरोना की महामारी ने ठण्ड और प्रदूषण के साथ मिल कर आम आदमी की जिन्दगी की मुश्किलों को बहुत बढ़ा दिया है. बहुत कुछ अचानक हो रहा है और … Read More

कोरोना काल में स्वास्थ्य की चुनौती के निजी और सार्वजनिक आयाम

आजकल का समय स्वास्थ्य की दृष्टि से एक घनी चुनौती बनता जा रहा है जब पूरे विश्व में में मानवता के ऊपर एक ऐसी अबूझ महामारी का असर पड़ रहा … Read More