Swami Vivekanand: जग उठी है पूर्व की किरणें गिरी धो रही अँचल काया
Swami Vivekanand: सज रही कुन्तल (स्वामी विवेकानंद की स्मृति में) Swami Vivekanand: जग उठी है पूर्व की किरणेंगिरी धो रही अँचल कायाक्षितिज कोने से देखो वसन्तकरता पदवन्दन तरुवर नरेन्द्र का … Read More