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भारतीय संस्कृति के पुरोधा हैं जनचेतना नायक भगवान श्री राम: आचार्य देवव्रत

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सृष्टि नायक भगवान श्री राम के जीवन चरित्र एवं स्वरूप पर आयोजित ऑनलाइन अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस में बतौर मुख्यातिथि गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने किया विद्वानों को संबोधित

08 नवंबर: भारतीय शिक्षण मंडल के सौजन्य से दीन बंधु छोटूराम विज्ञान एवं तकनीकी विश्वविद्यालय मुरथल के सहयोग से भगवान श्री राम के जीवन चरित्र एवं स्वरूप पर आयोजित तीन दिवसीय ऑनलाइन अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस में गुजरात के महामहिम राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने बतौर मुख्यातिथि विद्वानों को संबोधित किया।

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उन्होंने कहा कि भगवान श्री राम हमारे लिए आदर्श हैं और हमारे प्रेरणा स्रोत हैं। भगवान श्रीराम ने धर्म की स्थापना की उन्होंने हमें सत्य के मार्ग पर चलने की राह दिखाई भगवान श्री राम भारतीय संस्कृति के पुरोधा हैं। भगवान श्रीराम ने एक अाज्ञाकारी पुत्र, एक पिता और पत्निव्रता पति, बड़े भाई,जननायक एवं जन जन के संरक्षक के कर्तव्य का सही निर्वहन कर हमारे सामने मर्यादा, संयम, त्याग, स्नेह और मानवतावादी व्यक्तित्व के साथ रामराज्य की स्थापना कर प्रेरणादायी मिसाल पेश की है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में समाज और परिवार टूट रहे हैं भाई भाई का स्नेह समाप्त हो रहा है, बूढ़े माता -पिता आज वृद्धाश्रम में जीवन व्यतीत करने को मजबूर हैं, हमारे संस्कार समाप्त होते जा रहे हैं ऐसी स्थिति में भगवान श्री राम का जीवन चरित्र एवं आदर्श हमें अपनी युवा पीढ़ी को आदर्श एवं प्रेरणा विरासत के रूप में देने चाहिए। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम ने पिता की आज्ञा को सर्वोपरि माना और राज्य का त्याग कर दिया, भरत लक्ष्मण शत्रुघ्न ने भी त्याग का परिचय देते हुए बड़े भाई की चरण पादुका से राज्य व्यवस्था को चलाकर आपसी भाईचारा एवं प्रेम की भारतीय परंपरा को पेश किया। उन्होंने कहा कि भगवान श्री राम का जीवन हमें सही जीवन जीने और अपने राष्ट्र समाज और परिवार के प्रति कर्तव्य का बोध कराता है और प्रेरणा देता है।

उन्होंने भारतीय शिक्षण मंडल द्वारा भगवान श्री राम के जीवन चरित्र एवं स्वरूप अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस का आयोजन करने के लिए बधाई दी। उन्होनें कहा कि हम सब भगवान श्री राम के जीवन चरित्र और आदर्शों को संदेश के रूप में जन जन तक पहुंचाने का काम करें। उन्होंने भगवान श्री राम के विभिन्न जीवन प्रसंगों पर प्रकाश डाला।

अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस में बतौर मुख्यवक्ता अखिल भारतीय शिक्षण मंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ सच्चिदानंद जोशी ने संबोधित करते हुए कहा कि हमारी संस्कृति पूरे विश्व में सर्वश्रेष्ठ है। उन्होंने कहा कि भगवान श्री राम की शक्ति चरित्र में है संस्कार में है। कहा कि स्वतंत्रता से पहले और स्वतंत्रता के बाद में रामराज्य की परिकल्पना पर चर्चाएं होती रही हैं। कहा कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी भी इसी कड़ी में समर्थ भारत विश्वसनीय भारत की रचना करने की बात कहते हैं जिस पर हमें चिंतन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भगवान श्री राम के जीवन चरित्र और स्वरूप पर हमें चर्चा करने का जो सौभाग्य प्राप्त हुआ है उसके लिए कांफ्रेंस के आयोजक बधाई के पात्र हैं। बतौर विशिष्ट अतिथि दीनबंधु छोटू राम विज्ञान एवं तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आरके अनायत ने भगवान श्री राम के जीवन चरित्र एवं स्वरूप के साथ रामायण के महत्वपूर्ण अध्याय पर विस्तृत विचार रखे। भारतीय शिक्षण मंडल हरियाणा के प्रांत मंत्री सुनील शर्मा ने मुख्य अतिथियों सहभागी विद्वानों एवं राम भक्तों का धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।

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कांफ्रेंस के प्रातःकालीन सत्र में नेपाल से आचार्य गुरुप्रसाद ने नेपाल में भारतीय परंपरा और भगवान श्री राम के जीवन चरित्र एवं स्वरूप और नेपाली भाषा में रचित रामायण के अध्यायों पर विचार रखे। सुप्रीम कोर्ट नेपाल के पूर्व रजिस्ट्रार डॉ रामकृष्ण तिमालसेना ने रामायण और भगवान श्री राम के जीवन प्रसंगों प्रकाश डाला। प्रोफेसर तेजेंद्र शर्मा द्वारा प्रात: कालीन सत्र में धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया गया। कॉन्फ्रेंस में मंच का संचालन उप रजिस्ट्रार चंचल भारद्वाज और डॉ.ज्योति श्योराण द्वारा किया गया।

कॉन्फ्रेंस में भारतीय शिक्षण मंडल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रो.मनोज दीक्षित, राष्ट्रीय महामंत्री उमाशंकर पचौरी,संगठन मंत्री मुकुल कानिटकर अखिल भारतीय सह संपर्क प्रमुख पुष्पेंद्र राठी, पंकज नाफड़े, प्रांत अध्यक्ष डॉ जितेंद्र कुमार भारद्वाज सहित विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, कुलसचिवों सहित देश- विदेशों से प्रकांड विद्वानों ने सहभागिता की।