33rd All India Convocation Concluded

33rd All India Convocation Concluded: राष्ट्रभाषा प्रचार समिति का 33वां अखिल भारतीय दीक्षान्त समारोह संपन्न

33rd All India Convocation Concluded: प्रारंभिक से अनुसंधान तक की समस्त शिक्षा भारतीय भाषाओं के माध्यम से हो: प्रो.रजनीश कुमार शुक्ल

वर्धा, 28 मार्च: 33rd All India Convocation Concluded: भारतीय शिक्षा नीति २०२० घोषित हुई है। यह पहली बार है कि देश की राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मातृभाषा के माध्यम से शिक्षा पर बल दिया गया। केजी से पीजी यानि प्रारंभिक एवं अनुसंधान तक समस्त शिक्षा भारतीय भाषाओं के माध्यम से संपन्न हो इसकी अपेक्षा व्यक्त की गई है। भारत एक बहुभाषी देश है लेकिन इसको उस समय एक कमजोरी के रूप में पेश किया गया था तभी राष्ट्रभाषा प्रचार समिति जैसी संस्थाओं का अस्तित्व सामने आया। देश वस्तुतः बहुभाषी है लेकिन भाषित एक भाष में होता है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति स्थावलंबन और स्वराज, स्वरोजगार के साथ लोगों को अपने पैरों पर खड़ा होने की क्षमता प्रदान करती है। उक्त आशय के विचार महात्मा गांधी अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय के कुलपति एवं दीक्षान्त समारोह के प्रमुख अतिथि प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने व्यक्त किए। वे राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा द्वारा आयोजित 13 वे अखिल भारतीय दीक्षान्त समारोह में दीक्षान्त भाषण दे रहे थे।

उन्होंने आगे कहा कि पूरे देश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति २०२० क्रियान्वित हो रही है। इसे ध्यान में रखते हुए समिति को एक बार अपना पुनः मूल्यांकन करने की आवश्यकता है। देश की आजादी के साथ लिए गए सपनों को पूरा करने के लिए हमें सभी भाषाओं को साथ लेकर हिन्दी के माध्यम से कार्य करना चाहिए।

33rd All India Convocation Concluded: समिति के अध्यक्ष प्रो. सूर्यप्रसाद दीक्षित ने अपने अध्यक्षीय भाषण में उद्बोधित किया कि शिक्षा के बाद जो दी जाती है वह होती है दीक्षा। जिसे चरितार्थ किया जाता है। दीक्षा आचरणीय होती है। जो शिक्षा उसे प्राप्त हुई है उसका लाभ समाज को प्राप्त हो ।यह लोकमान्यता प्राप्त विशेष प्रकार का उपहार होता है। उसके साथ एक भावना जुड़ी होती है। समारोह में मंच पर राष्ट्र भाषा प्रचार समिति के प्रधानमंत्री डॉ. हेमचन्द्र वैद्य, श्री महेश अग्रवाल,श्री जगदीश प्रसाद पोद्दार तथा श्री प्रकाश बाभले उपस्थित थे। अतिथियों के हाथों द्वीप प्रज्वलन हुआ। सम्माननीय अतिथियों का पुष्पगुच्छ, स्मृति चिह्न देकर स्वागत किया गया। संगीता वाघ, जयश्री पतकी एवं रूपाली सायरकर द्वारा भारत जननी एक हृदय हो
गीत गाया गया।

राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के प्रधान मंत्री डॉ. हेमचन्द्र वैद्य ने सभी अतिथियों स्वागत करते हुए कहा कि यह(33rd All India Convocation Concluded) दीक्षान्त समारोह सभी परीक्षार्थियों के लिए महत्वपूर्ण है। सत्याग्रह के आंदोलन की धार में तेजस्विता चाहिए यह कम हो रही है इसका प्रमुख कारण है कि हमारा सामूहिक चिंतन समाप्ति के कगार पर खड़ा है। लोग स्वयं तक ही सीमित हो गये हैं। दुनिया को प्रभावित करने के लिए सदाचार और प्रेम के ताबिज की जरूरत है और वह बात हिन्दी में है।

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प्रो.रजनीश कुमार शुक्ल, कुलपति, महात्मा गांधी अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय,वर्धा द्वारा सभी दीक्षार्थियों को प्रतिज्ञा वाचन कराया गया।
परीक्षा मंत्री प्रकाश बाभले ने परीक्षा संबंधी विवरण प्रस्तुत करते हुए सन् २०१७, २०१८ एवं २०१९ की परीक्षाओं में भारत सर्वप्रथम आनेवाले विद्यार्थियों को पुरस्कार देने हेतु आमंत्रित किया। उपस्थित सभी परीक्षार्थियों को कुलपति के हाथों सम्मानित किया गया। वर्धा समिति से परीक्षा दी वे परीक्षार्थी पुरस्कार के लिए उपस्थित थे जिसमें कु. अपेक्षा अरुणराव देशमुख तथा कु. बेला विनोदराव टिबडेवाल को पुरस्कृत किया गया। सभी दीक्षार्थियों को माननीय प्रो. डॉ. रजनीश कुमार शुक्ल जी ने राष्ट्रभाषा रत्न एवं राष्ट्रभाषा आचार्य की उपाधि से विभूषित किया।

समारोह का संचालन संजय पालीवाल ने तथा आभार सहायक मंत्री श्री महेश अग्रवाल ने माना। समारोह में देश के विभिन्न प्रान्तों से आये छात्र तथा हिन्दी प्रेमी उपस्थित थे। शहर के गणमान्य नागरिक, राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के अधिकारी, पदाधिकारी, कार्यकर्ता, किशोर भारती विद्यालय के शिक्षक, राष्ट्रभाषा महाविद्यालय की प्राध्यापक, राष्ट्रभाषा माध्यमिक विद्यालय के शिक्षक उपस्थित थे। समिति की व्यवस्था समिति ने समारोह को सफल बनाने हेतु अथक प्रयत्न किए। राष्ट्रगीत के साथ समारोह संपन्न हुआ।

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