Maa: झूक जाता है श्रध्दा से जिसके सामने सर,वही तो एक जननी होती है: रेणु तिवारी
~~मां (Maa)~~
सूर्य सा तप और धरा सी सहनशीलता उसमे होती है
चाँद की परछाई सी ममता भी तो उसी की होती है
सुबह से शाम तक तक कठपुतली बन जाती है
कठिनाइयों से लड़ने की शक्ति भी तो वही देती है
बेटी,बहन,पड़ोसन थोड़ी थोड़ी सी सब में होती है
इस संसार में साक्षात ईश्वर वही तो होती है
झूक जाता है श्रध्दा से जिसके सामने सर,वही तो एक जननी होती है
इस दुनिया में हमे लाने वाली एक मां (Maa) ही तो होती है.
यह भी पढ़ें…..Cycle ki sawari: वो भी क्या दौर था जब निकलती थी हमारी साइकिल की सवारी