Cycle ki sawari: वो भी क्या दौर था जब निकलती थी हमारी साइकिल की सवारी
Cycle ki sawari: दोस्तो से आंखो आंखो में ही बात हो जाया करती थी की वो लाल साइकिल वाली तेरी भाभी और नीली वाली मेरी……
साइकिल की सवारी दोस्तो के संग
वो भी क्या दौर था, जब निकलती थी हमारी साइकिल की सवारी
एक साइकिल की फरमाइश पूरी हो तो लगे जैसे मिली है फरारी
वो दोस्तो के साथ निकल जाते थे मिलो दूर पर थक के बैठती नहीं थी साइकिल हमारी
वो भी क्या दौर था जब निकलती थी हमारी साइकिल की सवारी
उसे कॉलेज से घर और घर से कॉलेज छोड़ने की, बिना उसे से पूछे ही उठा ली थी जिम्मेदारी सारी
दोस्तो से आंखो आंखो में ही बात हो जाया करती थी की वो लाल साइकिल वाली तेरी भाभी और नीली वाली मेरी
वो दशहरे पर पापा की स्कूटर के साथ शान से खड़ी होती थी साइकिल हमारी
वो भी क्या दौर था जब निकलती थी हमारी
साइकिल की सवारी (Cycle ki sawari)
कितने किस्से अधूरे रह गए कितनी यादें रह गई उस साइकिल के साथ हमारी
आज कार में अपनी आराम से सफर करते है पर वो पैडल को चलाते पैर याद है हमारी
आज सहूलियत का सारा सामान है पास,पर दोस्तो से थोड़ी दूरी हो गई है हमारी
याद है वो एक फोन पर,मिलो साइकिल चला पहुंच जाया करती थी दोस्ती हमारी
वो भी क्या दौर था जब निकलती थी हमारी साइकिल की सवारी
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