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Filariasis Eradication: फाइलेरिया उन्मूलन छह ब्लॉक में चलेगा नाइट ब्लड सर्वे अभियान

Filariasis Eradication: घर के आस–पास रखें साफ-सफाई, करें मच्छरदानी का प्रयोग

मऊ, 26 अगस्तः Filariasis Eradication: कोरोना से निपटने के साथ ही फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम एमडीए (मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन) के तहत जनपद में लोगों को फाइलेरिया रोग से बचाव के साथ संक्रमण का पता लगाने के लिये स्वास्थ्य विभाग द्वारा ब्लड सर्वे के तहत रात्रि के प्रहार में सैंपल लिया जा रहा है। फाइलेरिया से ग्रसित मरीजों की खोज के लिए रात के समय में रक्त पट्टिका तैयार किए जा रहे हैं। जांच में पॉजिटिव पाये जाने पर सरकार द्वारा मरीजों का निःशुल्क इलाज कराया जाएगा।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ श्याम नारायण दुबे ने बताया कि रात्रि रक्त पट्टिका एकत्रीकरण (नाइट ब्लड सर्वे) के लिए चार-चार विशेषज्ञों की टीम रात 8:30 बजे से अर्धरात्रि 12 बजे तक लोगों के रक्त का सैंपल लेकर स्लाइड बना रही है। विभाग द्वारा चार हजार स्लाइड तैयार करने का लक्ष्य है। शहर के दो वार्ड मलिक ताहिरपुरा और मलिक कासिमपुरा सहित बड़रांव, दोहरीघाट, फतहपुर मंडाव, घोसी, कोपागंज तथा रतनपुरा छह ब्लाकों के प्रत्येक गांवों से सैम्पल इकट्ठा कर पांच-पांच सौ रक्त का नमूना एकत्रित करने का लक्ष्य है। जिसमें कि सर्वे के लक्ष्य का 50% पूरा कर लिया गया है।

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मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि फाइलेरिया के माइक्रोफाइलेरी अपने नेचर के मुताबिक रात्रि के समय रक्त में सक्रिय हो जाते हैं, इसी के आधार पर लक्षण को आसानी से पहचाना जा सकता है। इसलिए रात में ही ब्लड सैंपल लिया जाता है और उसकी स्लाइड बनाकर जाँच के लिये लैब में भेजा जाता है। जहां लैब टेक्नीनीशियन द्वारा परीक्षण का कार्य शुरू कर दिया जाता है।

अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (वेक्टर बार्न) डॉ आरबी सिंह ने बताया कि इस अभियान के तहत कासिमपुरा और मलिक ताहिरपुरा शहर के दो वार्डो से 500-500 तथा दोहरीघाट बड़राव ब्लाक से 500-500 ब्लड सर्वे कर रिपोर्ट मुख्यालय पर आ गई है। वर्ष 2017-18 में 2543 तथा 2018-19 में 943 परीक्षणोपरांत फाइलेरिया के रोगी पाये गये थे। 

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डॉ आरबी सिंह ने बताया कि यह बीमारी हाथीपांव नाम से भी प्रचलित है। लिंफेटिक फाइलेरियासिस को आम बोलचाल में फाइलेरिया या हाथीपांव कहते हैं। यह रोग मच्छर के काटने से ही फैलता है। समय से दवा लेकर इस रोग से छुटकारा पाया जा सकता है। साल में एक बार पूरी जनसंख्या को फाइलेरिया से बचाने के लिए निःशुल्क दवा खिलाई जाती है।

डॉ आरबी सिंह ने बताया कि फाइलेरिया के सामान्यतः कोई लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते हैं। बुखार, बदन में खुजली और पुरुषों के जननांग और उसके आस-पास दर्द और सूजन की समस्या दिखाई देती है। पैरों और हाथों में सूजन, हाथीपांव और हाइड्रोसिल (अंडकोषों का सूजन), महिलाओं के स्तन में सूजन के रूप में भी यह समस्या सामने आती है। इस बीमारी से बचने के लिये सभी को अपने चारों तरफ साफ-सफाई रखने के साथ मच्छरदानी, मास्किटो क्रीम आदि मच्छरों से बचाव के उपाय करने चाहिये।

जिला मलेरिया अधिकारी बेदी यादव ने बताया कि जांच में पॉजिटिव आने के बाद मरीजों का चिकित्सा का खर्च स्वास्थ्य विभाग वहन करता है। मरीज को पहले वर्ष में चार बार दवा खिलाई जाती है, जबकि दूसरे वर्ष में तीन बार तथा तीसरे वर्ष से दो बार दवा खिलाई जाती है। इस रोग से पूरी तरह से छुटकारा पाने के लिये इस दवा का कोर्स पूरा करना अति आवश्यक है। संक्रमित मच्छर के काटने से फैलने वाले रोग लिंफेटिक फाइलेरियासिस को खत्म करने के लिए प्रत्येक वर्ष में एक बार राष्ट्रीय स्तर पर मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) कार्यक्रम चलाया जाता है।

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