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दिल ख़ुश हो तो गुमसुम रहना किसको अच्छा (Good) लगता है…..

ग़ज़ल:

Good, Omprakash Yati

दिल ख़ुश हो तो गुमसुम रहना किसको अच्छा (Good) लगता है।
बोझ ग़मों का लेकर हँसना किसको अच्छा लगता है।

जो गाते रहते हैं गाथा अपने धन- दौलत की ही
ऐसे इंसानों से मिलना किसको अच्छा (Good) लगता है।

ढूँढ़ रहा है हर कोई अब छोटी राह सफलता की
ज़्यादा लम्बा रस्ता चलना किसको अच्छा लगता है।

व्यस्त सभी हैं, वक़्त कहाँ है मेहमानों की ख़ातिर अब
उनका घर में आना, रुकना किसको अच्छा लगता है।

कोई मजबूरी ही हो तब तो है बात अलग वर्ना
यूँ ही किसी के ताने सहना किसको अच्छा लगता है।

खिन्न बहुत मन हो जाता है देख कभी घर के हालात
ऐसे में फिर लिखना- पढ़ना किसको अच्छा लगता है।

अपने शेर सुनाकर महफ़िल से उठ जाते हैं शाइर
घंटों बैठ के सबको सुनना किसको अच्छा लगता है।

त्यौहारों पर आ भी गए तो सब जल्दी चल देते हैं
गाँव में ज़्यादा दिन तक रहना किसको अच्छा लगता है।

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