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Cow Protection Law: गौ रक्षा कानून हेतु कोई राजनीतिक दल गंभीर नहीं: शङ्कराचार्य

Cow Protection Law: काशी मे ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शङ्कराचार्य स्वामि अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती ने पत्रकार वार्ता मे सभी राजनैतिक दलों को खड़ा किया कटघरे मे

  • बहु संख्यक हिंदुओं के देश मे आजादी के 78 वर्षो के बाद भी, गौ हत्त्या बंद करने हेतु कानून का नही बनना चिंता का विषय…..जगद्गुरु शंकराचार्यं
  • गाय और गवय की पहचान हेतु काशी मे बनेगा रामा लैब
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रिपोर्ट: डॉ राम शंकर सिंह
वाराणसी, 16 अप्रैल:
Cow Protection Law: बहुसंख्यक हिन्दुओं के देश भारत में हिन्दुओं की पहली माँग गोरक्षा के विषय में कहने को तो हर राजनीतिक दल आजादी के पहले से ही गोरक्षा की बात कहता रहा है पर, आजादी के 78 वर्ष बीत जाने पर भी इस विषय में कोई केन्द्रीय कानून नहीं बन सका. क्योंकि असल में कोई स्थापित दल ये चाहता ही नहीं था। यह राजनैतिक इच्छाशक्ति का अभाव ही है जो भारत के संविधान की धारा 48 में गोहत्या को प्रतिबन्धित करने का प्रयास करने के लिए कहे जाने और भारत की बहुमत आबादी द्वारा निरन्तर गौरक्षा की माँग किए जाने के बाद भी आज 78 साल बाद तक भी, देश में गोरक्षा क़ानून नहीं बनाया जा सका है।

उक्त उद्गार परमाराध्य परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पिठाधीश्वर जगद्गुरु शङ्कराचार्य शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती 1008 ने काशी के केदारघाट स्थित श्रीविद्यामठ में पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किया.
उन्होंने आगे कहा कि लम्बे समय से गौप्रतिष्ठा आन्दोलन चलाने के बाद उन्होंने समग्र आस्तिक हिन्दू समाज की ओर से प्रयाग महाकुम्भ की समाप्ति पर 33 दिनों के अन्दर भारत के हर स्थापित राजनैतिक दल से गोमाता के बारे में अपने विचार स्पष्ट करने के लिए कहा था। उन्होंने पूछा था कि आप बताएं कि आप गाय के पक्ष में हैं या विपक्ष में? पर किसी भी स्थापित राजनैतिक दल ने उत्तर नहीं दिया। जिसके लिए 17 मार्च को रामलीला मैदान में दिन भर का प्रतीक्षा कार्यक्रम भी रद्द कर दिया गया और राजनैतिक दलों के कार्यालय के दरवाजे पर जाकर पूछने पर भी किसी ने उत्तर नहीं दिया।

ध्यातव्य है कि यह इतिहास का पहला अवसर था जब किसी शङ्कराचार्य ने राजनीतिक दलों के दरवाजे पर जाकर पूछा हो कि गाय के साथ खड़े हो या विरोध में? पर किसी भी राजनैतिक दल ने उत्तर नहीं दिया। भारतीय जनता पार्टी ने तो उन्हें अपने कार्यालय के सामने जाने से भी बैरीकेटिंग कर पुलिस बल द्वारा रोक दिया और उनके कार्यक्रम की मिली हुई अनुमति भी रद्द कर दी।

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शङ्कराचार्य जी ने बताया कि उन्होंने पहले ही कह दिया था कि हमे गाय के बारे में स्पष्ट उत्तर चाहिए। बताओ कि आप हमारी गोमाता को सम्मान देकर भाई बनते हो कि उन्हें मारते-मरवाते रहकर कसाई के रूप में चिह्नित होना चाहते हो? यदि साफ़-साफ़ उत्तर नहीं आता अथवा उत्तर ही नहीं आया तो हम स्पष्ट समझेंगे कि आप गोहत्या को जारी रखते हुए ही राजनीति करना चाहते हैं जैसा कि आज तक यही हुआ है। अतः बार-बार अवसर दिए जाने पर भी देश के स्थापित राजनीतिक दलों द्वारा गोरक्षा-गोसम्मान के प्रश्न पर चुप्पी दर्शाती है कि वे गौरक्षा में कोई रुचि, प्राथमिकता या विश्वास नहीं रखते और उनसे आशा करना अब मूर्खता होगी। विश्वास और आशा भरी जो मूर्खता हम करोड़ों गौभक्त हिन्दू सनातनी 78 से अधिक वर्षों से करते आए उसे अब आगे जारी रखने का कोई अर्थ नहीं है।

अब जबकि भारत के सभी स्थापित राजनीतिक दलों से आशा समाप्त हो चुकी है तब गौरक्षा के लिये मतदाताओं को सङ्कल्पबद्ध होना ही एकमात्र उपाय रह जाता है।

परमाराध्य शङ्कराचार्य जी ने सङ्कल्प लिया कि वे गौरक्षा के लिए आज से यह प्रण लेते हैं कि प्रत्येक मतदान के अवसर पर मतदान अवश्य करेंगे और उसी पार्टी या प्रत्याशी को मतदान करेंगे जो गौरक्षा सहित समस्त सनातनी मानबिन्दुओं की रक्षा के सङ्कल्प के साथ राजनीति करने के लिए सङ्कल्पबद्ध होगा। उन्होंने अपने अनुयायियों और अन्य सभी लोगों से अनुरोध भी किया कि वे भी ऐसा ही सङ्कल्प लें जिससे देश में सनातनी राजनीति आगे आए और गौरक्षा सहित सनातन धर्म के समस्त प्रतीकों और सिद्धान्तों की रक्षा सम्भव हो सकेगा.

शङ्कराचार्य जी महाराज ने आगे कहा कि उन्हें विश्वास है कि गोदेवी / गोदेव ही गौरक्षा में सफल होंगे, अपितु यही लोग सनातन धर्म के हर प्रतीकों की रक्षा कर सकेंगे और भारत की प्रचीन सनातन संस्कृति धारा को पुनः प्रवाहित करने में भी सफल होंगे।

भारत की सभी विधानसभाओं में बनेगा एक-एक रामाधाम-

गोप्रतिष्ठा आन्दोलन के अन्तर्गत गठित गोसंसद् और गोसभाओं के माध्यम से देश के सभी 4123 विधानसभा क्षेत्रों में गोविधायकों की नियुक्ति की जा रही है जिनके देख-रेख में वर्ष के अन्त तक इतने ही रामाधाम तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है। ज्ञात हो कि प्रत्येक रामाधाम में 108 रामा गाय विराजेंगी। दूसरे तीसरे और चौथे चरण में चलते हुए पूरे देश में 3 लाख रामाधाम का निर्माण कर समस्त रामा गायों की सेवा का लक्ष्य रखा गया है।

गाय और गवय की पहचान के लिए काशी में बनेगा रामा लैब-

शुद्ध देसी नस्ल की गायों (जिनको परमाराध्य शङ्कराचार्य जी महाराज के द्वारा रामा नाम दिया गया है) की गायों अर्थात् गाय जैसी दिखने वाले पशुओं से पृथक् कर पहचानने के लिए डीएनए टेस्टिंग का कार्य आरम्भ किया जाएगा। इसके लिए वाराणसी में एक रामा प्रयोग सेवालय स्थापित करने का निर्णय लिया गया। जिसकी स्थापना अक्षय तृतीया तक कर ली जाएगी.

मेरी गाय मेरा गौरव कार्यक्रम-

परमाराध्य शङ्कराचार्य जी महाराज ने आगे बताया कि “मेरी गाय मेरा गौरव” कार्यक्रम चलाकर उन सभी गौभक्तों को प्रोत्साहित किया जाएगा जो कम से कम एक गाय को अपना गौरव बताते हुए सेवा करते हों।

गोपाल पाठ्यक्रम का आरम्भ अगले महीने-

करोडों रामा गायों की पहचान करने तथा सम्मान सहित उनकी सेवा करने के लिए गोपाल आदि पाठ्यक्रम तैयार किए गये हैं जिनमें प्रशिक्षित होकर लोग गौसेवा के क्षेत्र में रोजगार प्राप्त कर सकेंगे। यही प्रशिक्षण संस्था भविष्य में गो विश्वविद्यालय का रूप लेगी।

गौरक्षकों को प्रदान करेंगे गौवीर सम्मान-

गौरक्षक गुंडा नहीं, अपितु असल सनातनी धार्मिक हिन्दू हैं जिनके हृदय में गौमाता के प्रति अथाह श्रद्धा विद्यमान है। इसीलिए तो वे प्रतिकूल परिस्थितियों में भी बिना किसी लाभ के गौरक्षार्थ समर्पण किए हुए हैं। देश भर के ऐसे गौरक्षकों की पहचान कर उन्हें गौवीर के रूप में सम्मानित किया जाएगा।

भारत का संविधान गाय के पक्ष में-

परमाराध्य शङ्कराचार्य जी महाराज ने स्पष्ट कहा कि भारत का संविधान गाय के पक्ष में है और गौरक्षा चाहता है। कहा कि हम हिन्दुओं को किसी भी दशा में गौहत्या स्वीकार नहीं है। उन्होंने गौहत्या और गौमांस आदि विक्रय में जुड़े लोगों को साफ कहा है कि वे अगर आजीविका के लिए यह कर रहे हैं तो उन्हें आजीविका के लिए विकल्प की तलाश करनी चाहिए और गौमांस खाने के आदती लोगों से कहा कि बहुसंख्यक हिन्दुओं की पीड़ा को रोकने के लिए उन्हें अपनी खान-पान की आदतों को बदलने के बारे में विचार करना चाहिए।

उन्होंने भारत के संविधान का हवाला देते हुए भारत की सरकार से पूछा कि भारतीय संविधान के भाग 4 की धारा 48 में राज्य के नीति निदेशक तत्वों के अन्तर्गत गायों और बछडों को संरक्षित करने और उनके वध को प्रतिबन्धित करने का प्रयास करने सम्बन्धी कथन की अवहेलना क्यों कर रहे हैं और “प्रयास” शब्द की उपेक्षा क्यों कर रहे हैं?

पत्रकार वार्ता में गोसेवालय प्रमुख देवेन्द्र पाण्डेय उत्तरांचल प्रभारी-विनय कक्कड़, महेश आहूजा जी ,पश्चिमांचल प्रभारी- बाबूलाल जांगीड, पूर्वाचल प्रभारी- विकास पाटनी, दक्षिणांचल प्रभारी- किशोर भाई दवे सम्मिलित रहे।कार्यक्रम में-डॉ गार्गी पंडित जी, संजय पाण्डेय-मीडिया प्रभारी, गोप्रतिष्ठानंद जी ,स्तनुपुरुषानंद ब्रह्मचारी जी,हर्ष मिश्रा, महेंद्र भार्गव जी , दीपू रैना , राजीव झा जी ,डॉ शशिकांत यादव, साध्वी आदित्यंबा जी,डॉ जितेंद्र भट्ट,नरेंद्र चतुर्वेदी,शिवजी परमार ,गोपाल दास जी,पियूष तिवारी, नरोत्तम पारीक,आशुतोष गर्ग,दीपक शर्मा,आशीष गुप्ता,राहुल साहू,महंत राजराजेश्वरी देवी ,ऊषा चौधरी सुनील ठाकुर, राकेश कुमार केशरी,सचिन द्विवेदी जी , मालचंद शर्मा,राहुल शर्मा,सोहम दास,स्वामी कृष्ण गिरि जी,राजपूत अमित चौहान,कृष्णानंद पांडेय जी इत्यादि लोग उपस्थित थे.

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