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Development of Tribal: जन जातीय समूह के विकास पर होगा दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन

Development of Tribal: पाकुड़ ( झारखंड ) स्थित के के एम कॉलेज मे नई दिल्ली के डॉ भीम राव अम्बेडकर कॉलेज के संयुक्त तत्वावधान मे, 29 एवं 30 अप्रैल को होगा महत्वपूर्ण शैक्षणिक आयोजन

  • Development of Tribal: भारत के विशेष रूप से कमजोर जन जातीय समूह: समावेशी विकास की चुनौतियाँ और मार्ग विषयक दो दिवसीय सेमिनार मे ख्याति प्राप्त चिंतक और समाज वैज्ञानिक करेंगे शिरकत
  • राष्ट्रीय संगोष्ठी मे भाग लेने एवं शोध पत्र भेजने की अंतिम तिथि है 20 अप्रैल
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पाकुड़, 16 अप्रैल: Development of Tribal: “भारत के विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह : समावेशी विकास की चुनौतियाँ और मार्ग” विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन 29 और 30 अप्रैल, 2025 को केकेएम कॉलेज, पाकुड़ (झारखंड) में किया जा रहा है। यह महत्वपूर्ण शैक्षणिक आयोजन सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय, दुमका के एक घटक महाविद्यालय केकेएम कॉलेज, पाकुड़ तथा दिल्ली विश्वविद्यालय के डॉ. भीम राव अम्बेडकर कॉलेज द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया जा रहा है।

इस संगोष्ठी को भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICSSR), नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित किया गया है, जिसका उद्देश्य भारत के 75 विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों की समकालीन समस्याओं और विकास के संभावित रास्तों पर राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित करना है, जो आज भी देश की सबसे अधिक वंचित समुदायों में आते हैं।

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यह संगोष्ठी प्रोफेसर बिमल प्रसाद सिंह, कुलपति, सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय के संरक्षण और प्रोफेसर सदा नंद प्रसाद, प्राचार्य, डॉ. भीम राव अम्बेडकर कॉलेज, दिल्ली के सह-सरंक्षण में आयोजित की जा रही है। संगोष्ठी के आयोजन मंडल में अनेक समर्पित शिक्षाविद एवं पेशेवर शामिल हैं, जिनमें डॉ. युगल झा, प्राचार्य, केकेएम कॉलेज संगोष्ठी के संयोजक, प्रोफेसर बिष्णु मोहन डैश, डॉ. भीम राव अम्बेडकर कॉलेज से सह-संयोजक तथा श्री कुमार सत्यम, उसी संस्थान से समन्वयक की भूमिका निभा रहे हैं।

Development of Tribal: राष्ट्रीय संगोष्ठी में अकादमिक और विकास के क्षेत्र से कई प्रतिष्ठित व्यक्तित्वों की उपस्थिति अपेक्षित है। आमंत्रित अतिथियों में पद्मश्री सम्मानित चामी मुर्मू और अशोक भगत शामिल हैं, जो झारखंड में जनजातीय सशक्तिकरण और जमीनी विकास कार्यों के लिए विख्यात हैं। इनके अतिरिक्त, प्रोफेसर पामेला सिंगला, पूर्व विभागाध्यक्ष, सामाजिक कार्य विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय और डॉ. चित्तरंजन सुबुधि, जिनका योगदान आदिवासी अध्ययन के क्षेत्र में सराहनीय रहा है, भी इस अवसर की शोभा बढ़ाएंगे।
पत्र प्रस्तुतियों, पैनल परिचर्चाओं और केस स्टडीज़ के माध्यम से यह संगोष्ठी ज्ञान के आदान-प्रदान और सहभागितापूर्ण अध्ययन के लिए एक सशक्त मंच प्रदान करेगी।

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इसमें विशेष रूप से सामाजिक-आर्थिक हाशिएकरण, स्वास्थ्य और शिक्षा, सांस्कृतिक संरक्षण, पर्यावरणीय स्थायित्व तथा सहभागिता आधारित शासन जैसे विषयों पर केंद्रित विमर्श होगा। इसका उद्देश्य सरकारी पहलों की आलोचनात्मक समीक्षा, समुदाय की आवाज़ को सशक्त करना तथा टिकाऊ और सांस्कृतिक रूप से संवेदनशील विकास मॉडल की खोज करना है।

चयनित शोधपत्रों का प्रकाशन एक अंतरराष्ट्रीय प्रकाशन संस्था द्वारा किया जाएगा, जिससे लेखकों को व्यापक अकादमिक पहुंच और मान्यता प्राप्त होगी। संगोष्ठी के दौरान बाहर से आने वाले प्रतिभागियों को नि:शुल्क आवास और भोजन की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। सार लेख भेजने की अंतिम तिथि 18 अप्रैल, 2025 तथा पूर्ण शोध पत्र व पंजीकरण की अंतिम तिथि 20 अप्रैल, 2025 निर्धारित की गई है।

इस महत्वपूर्ण राष्ट्रीय संगोष्ठी के आयोजन के साथ ही, आयोजक संस्थान देशभर के शिक्षाविदों, शोधार्थियों, नीति-निर्माताओं और छात्रों से अनुरोध करते हैं कि वे इसमें भाग लेकर भारत के सबसे वंचित जनजातीय समुदायों के लिए समावेशी विकास की पुनर्कल्पना में सहयोग करें। यह आयोजन सामाजिक न्याय और समानता की दिशा में शैक्षणिक सहयोग और सामूहिक प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
उक्त जानकारी डॉ. युगल झा, प्राचार्य, केकेएम कॉलेज, पाकुड़, झारखंड और प्रो. सदा नंद प्रसाद
प्राचार्य, डॉ. भीम राव अंबेडकर कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय ने संयुक्त रूप से दी.

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