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Big updates from Vikram Lander: विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर ने उद्देश्यों को पूरा करना शुरू कर दिया है: डॉ. जितेंद्र सिंह

Big updates from Vikram Lander: “अंतरिक्ष तक पहुंचने की हमारी क्षमता अब संदेह से परे सिद्ध हो गई है क्योंकि प्रधानमंत्री ने स्वयं कहा है कि अंतरिक्ष कोई सीमा नहीं है”: डॉ. जितेंद्र सिंह

दिल्ली, 27 अगस्त: Big updates from Vikram Lander: केंद्रीय अंतरिक्ष राज्य मंत्री, डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि चंद्रयान-3 मिशन से चंद्रमा के वायुमंडल, मिट्टी, खनिज आदि के बारे में जानकारी भेजने की आशा है, जो दुनिया भर के वैज्ञानिक समुदाय के लिए अपनी तरह का पहला और आने वाले समय में दूरगामी प्रभाव वाला हो सकता है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर ने निश्चित कार्यक्रम के अनुसार मिशन के उद्देश्यों को पूरा करना शुरू कर दिया है।

एक मीडिया एजेंसी को दिए एक विशेष साक्षात्कार में, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि चंद्रयान-3 पर विज्ञान पेलोड का मुख्य ध्यान चंद्रमा की सतह की विशेषताओं का एक एकीकृत मूल्यांकन प्रदान करना है, जिसमें चंद्रमा की ऊपरी मिट्टी (रेगोलिथ) के साथ ही चंद्रमा की सतह के तापीय गुण और उसकी सतह के निकट प्लाज्मा वातावरण के तत्व शामिल हैं। उन्होंने कहा कि यह चंद्रमा की भूकंपीय गतिविधियों और चंद्रमा की सतह पर उल्का पिंडों के प्रभाव का भी आकलन करेगा।

केंद्रीयविज्ञानऔरप्रौद्योगिकीराज्यमंत्री (स्वतंत्रप्रभार), प्रधानमंत्रीकार्यालयमेंराज्यमंत्री, कार्मिक, लोकशिकायत, पेंशन, परमाणुऊर्जाऔरअंतरिक्षराज्यमंत्रीडॉ. जितेंद्रसिंहने कहा, “चंद्रमा की सतह के निकट पर्यावरण की मूल-भूत समझ और अन्वेषणों के लिए भविष्य में चंद्र आवास विकास करने के लिए ये सभी आवश्यक हैं।”

Big updates from Vikram Lander: विक्रम लैंडरमें सिस्मोमीटर चंद्र भूकंपीय गतिविधि उपकरण (आईएलएसए), चाएसटीई (चंद्रा सरफेस थर्मो-फिजिकल एक्सपेरिमेंट), लैंगमुइर प्रोब (आरएएमबीएचए-एलपी) और एक लेजर रेट्रोरेफ्लेक्टर ऐरे पेलोड है और प्रज्ञान रोवर में अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (एपीएक्सएस) और लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (एलआईबीएस) पेलोड है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “इन सभी पेलोड के 24 अगस्त 2023 से मिशन के अंत तक निरंतर संचालन की योजना बनाई गई है।”

चंद्र भूकंपीय गतिविधि उपकरण (आईएलएसए) चंद्र भूकंपीय गतिविधियों के साथ-साथ चंद्रमा की सतह पर प्रभाव डालने वाले उल्का पिंडों का निरंतर अवलोकन करेगा। चंद्र भूकंपीय गतिविधि उपकरण चंद्रमा के उच्च अक्षांशों पर चंद्रमा की सतह पर कंपन का अध्ययन करने के लिए भेजा गया पहला भूकंपमापी है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “ये माप हमें उल्कापिंड के प्रभाव और भूकंपीय गतिविधियों से संभावित खतरों की आवृत्ति को समझकर भविष्य के आवास विकास की योजना बनाने में सहायता करेंगे।”

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि चाएसटीई (चंद्रा सरफेस थर्मो-फिजिकल एक्सपेरिमेंट) विक्रम लैंडर पर लगाया गया एक अन्य प्रमुख उपकरण है। चाएसटीई पर लगे दस उच्च परिशुद्धता तापीय सेंसर, तापमान भिन्नता का अध्ययन करने के लिए चंद्रमा की ऊपरी मिट्टी में खुदाई करेंगे। चाएसटीई चंद्र सतह के पहले 10 सेन्टी मीटर के थर्मोफिजिकल गुणों का अध्ययन करने वाला पहला प्रयोग है।

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चंद्रमा के दिन और रात के दौरान चंद्रमा की सतह के तापमान में काफी परिवर्तन होता है। स्थानीय मध्यरात्रि के आसपास न्यूनतम तापमान -100 ℃या इससे कम और स्थानीय दोपहर के आसपास 100℃या इससे अधिक होता है। चंद्रमा की ऊपरीछिद्रपूर्ण मिट्टी (लगभग 5 से 20 मीटर की मोटाई वाली) के एक उत्कृष्ट इन्सुलेटर होने की उम्मीद है। इस इन्सुलेशन गुण और हवा की अनुपस्थिति के कारण, रेगोलिथ की ऊपरी सतह और आंतरिक भाग के बीच बहुत महत्वपूर्ण तापमान अंतर होने की संभावना है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “रेजोलिथ का कम घनत्व और उच्च थर्मल इन्सुलेशन भविष्य के आवासों के लिए बुनियादी निर्माण खंड के रूप में इसकी क्षमता को बढ़ाता है, जबकि जीवित रहने के लिए तापमान भिन्नता की विस्तृत श्रृंखला का आकलन महत्वपूर्ण है।”

लैंगमुइर जांच द्वारा चंद्रमा के निकट की सतह पर प्लाज्मा और इसकी समय भिन्नता का अध्ययन किया जाएगा। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि रंभा-एलपी निकट-सतह प्लाज्मा और चंद्रमा के उच्च अक्षांश में इसकी दैनिक भिन्नता का पहला वास्तविक अवलोकन होगा, जहां सूर्य का ऊंचाई कोण कम है।

उन्होंने कहा, “ये भविष्य के मानव मिशनों के लिए चंद्रमा की सतह पर चार्जिंग का आकलन करने में सहायता करेंगे।”

प्रज्ञान रोवर पर लगे अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (एपीएक्सएस) और लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोपी (एलआईबीएस) रोवर ट्रैक के साथ स्टॉप-पॉइंट्स (लगभग 4.5 घंटे में एक बार) पर चंद्रमा की सतह के तत्वों की माप करेंगे। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि ये उच्च अक्षांशों में चंद्रमा की सतह की मौलिक संरचना का पहला स्वस्थानी अध्ययन है।

उन्होंने कहा, “ये माप संभावित सतही मौलिक रचनाओं के बारे में अनुमान लगा सकते हैं जो भविष्य में आत्मनिर्भर आवास विकास के लिए सहायक होंगे।”

लैंडर और रोवर पर लगे जांच उपकरणों के अलावा, चंद्रयान-3 मिशन चंद्रमा की प्रणोदन कक्षा में रहने योग्य ग्रह पृथ्वी (एसएचएपीई) की स्पेक्ट्रोपोलरिमेट्री ले जाता है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “यह भविष्य में पृथ्वी जैसे एक्सोप्लैनेट की पहचान करने में सहायता करेगा।” उन्होंने कहा, “प्रारंभिक विश्लेषण और समेकन के बाद डेटा विद्यार्थियों और आम जनता के लिए उपलब्ध कराया जाएगा।”

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि हालांकि लैंडर और रोवर मिशन का जीवन पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर एक चंद्रमा दिवस तक चलने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिसके बाद विक्रम और प्रज्ञान हाइबरनेशन में चले जाएंगे। इसरो वैज्ञानिकों ने कहा कि चंद्रमा की एक रात या 14 पृथ्वी दिनों के बाद, यदि दोनों रात के अत्यधिक ठंडे तापमान से बच गए तो फिर से बची हुई बैटरी और सौर पैनलों को शुरु करने की कोशिश की जाएगी।

इस बीच, इसरो सितंबर के पहले सप्ताह तक 7 पेलोड (उपकरण) के साथ ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) एक्सएल का उपयोग करके आदित्य-एल-1 मिशन के प्रक्षेपण की तैयारी कर रहा है। आदित्य एल-1 सूर्य का अध्ययन करने वाला पहला अंतरिक्ष-आधारित भारतीय मिशन होगा। अंतरिक्ष यान को सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंज बिंदु-1 (एल-1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में रखा जाएगा, जो पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किलोमीटर दूर है। एल-1 बिंदु के चारों ओर प्रभामंडल कक्षा में रखे गए उपग्रह को बिना किसी ग्रहण के सूर्य को लगातार देखने का प्रमुख लाभ होता है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि अंतरिक्ष में भारत का पहला मानव युक्त मिशन गगनयान, इसरो के सामने अगली बड़ी परियोजना होगी।

उन्होंने कहा, “किसी मानव को भेजने से पहले हमारे पास कम से कम दो मिशन होंगे। हमारा पहला मिशन संभवतः सितंबर या अगले साल की शुरुआत में होगा, जहां कुछ घंटों के लिए हम एक खाली अंतरिक्ष यान भेजेंगे जो ऊपर जाएगा और पानी में वापस आएगा। यह यान यह देखने के लिए जाएगा कि क्या हम बिना किसी नुकसान के इसकी सुरक्षित वापसी को नियंत्रित करने में सक्षम हैं। यदि वह सफल रहा तो हम अगले वर्ष व्योम मित्र नामक रोबोट भेजकर दूसरा परीक्षण करेंगे, और अगर वह भी सफल रहा तो हम अंतिम मिशन भेजेंगे, जो मानव मिशन होगा। यह संभवतः वर्श 2024 की दूसरी छमाही में हो सकता है। शुरुआत में हमने 2022 के लिए इसकी योजना बनाई थी, लेकिन कोविड के कारण इसमें देरी हो गई है।”

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के सत्ता संभालने के बाद पिछले नौ वर्षों में बुनियादी ढांचे के विकास के क्षेत्रों में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को लागू करने की स्वतंत्रता दी गई है।

उन्होंने कहा, “वर्ष 2013 तक, प्रति वर्ष औसतन लगभग 3 प्रक्षेपण के साथ 40 प्रक्षेपण वाहन मिशन पूरे किए गए। पिछले 9 वर्षों में 53 प्रक्षेपण यान मिशनों के साथ प्रति वर्ष औसतन 6 प्रक्षेपणों के साथ यह दोगुना हो गया है।” डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, ”इसरो ने 2013 तक 35 विदेशी उपग्रह पक्षेपित किए थे। पिछले 9 वर्षों में इसमें तेजी से वृद्धि देखी गई है और 400 विदेशी उपग्रह प्रक्षेपित किए गए।”

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत ने पिछले 9 वर्षों में महत्वपूर्ण और नागरिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपनी क्षेत्रीय नेविगेशन उपग्रह प्रणाली स्थापित की है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अंतरिक्ष क्षेत्र में सुधारों की शुरुआत की, जिससे भारतीय निजी व्यवसाइयों के लिए अंतरिक्ष क्षेत्र आसानी से सुलभ हो गया और सभी हितधारकों को शामिल करते हुए एक व्यापक भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 जारी की गई।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि देश में वर्ष 2014 के बाद ही अंतरिक्ष क्षेत्र के स्टार्टअप का उदय होना शुरू हुआ, वर्तमान में लगभग 200 स्टार्टअप विभिन्न अंतरिक्ष क्षेत्रों में काम कर रहे हैं। पहला भारतीय निजी उप-कक्षीय प्रक्षेपण हाल ही में देखा गया था जिसे अंतरिक्ष क्षेत्रीय सुधारों के माध्यम से सक्षम किया गया था।

उन्होंने कहा, “अंतरिक्ष तक पहुंचने की हमारी क्षमता अब संदेह से परे सिद्ध हो गई है क्योंकि प्रधानमंत्री ने स्वयं कहा है कि अंतरिक्ष कोई सीमा नहीं है। इसलिए हम ब्रह्मांड के अनछुए क्षेत्रों की खोज के लिए अंतरिक्ष से आगे निकल गए हैं।”

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर लैंडिंग के सजीव प्रसारण में देखी गई भारी रुचि को देखते हुए इसरो अगले महीने देश भर में जागरूकता अभियान शुरू करेगा, जिसमें विद्यार्थियों और आम लोगों को शामिल किया जाएगा।

8 मिलियन से अधिक दर्शकों के साथ, चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल का चंद्रमा की सतह पर उतरने का सजीव प्रसारण के दौरान यूट्यूब पर सबसे ज्यादा देखा जाने वाला कार्यक्रम बन गया। इसने विश्व कप 2022 के क्वार्टर फाइनल के दौरान ब्राजील और दक्षिण कोरिया के बीच फुटबॉल मैच के समान दर्शकों की संख्या को भी पीछे छोड़ दिया, जिसे 6.1 मिलियन बार देखा गया था। बाद में करीब 7 करोड़ दर्शकों ने चंद्रयान-3 की लैंडिंग देखी। हालाँकि, कई समूह द्वारा स्क्रीनिंग के कारण दर्शकों की वास्तविक संख्या अधिक हो सकती है।

जागरूकता अभियान 1 सितंबर को शुरू होगा और इसमें स्पेस स्टार्टअप और प्रौद्योगिकी साझेदार कंपनियों पर ध्यान देने के साथ फ्लैशमॉब्स, मेगा टाउन हॉल, क्विज़ प्रतियोगिता और सर्वश्रेष्ठ सेल्फी सहित ऑनलाइन और ऑफलाइन गतिविधियां शामिल होंगी।

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