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Are you happy: क्या आप खुश हैं?

Mamta kushwaha, Bihar

✍️ममता कुशवाहा
पिपरा असली, मुजफ्फरपुर, बिहार

“क्या आप खुश हैं? “ (Are you happy) ये सवाल अटपटा भी लग रहा होगा पर आजकल हम रोजमरा की जिंदगी जीते जीते हम इस सवाल के बारे में सोचना ही भूल गए हैं , दो वक़्त की रोटी जूटाने के जहोजाद में हम इतने मसगुल हो चुके हैं कि जिंदगी जीना भूलते जा रहे हैं । या ये भी कह सकते हैं कि “क्या आप खुश है ? ” –

इस सवाल पर कभी गौर नहीं किया, हमेशा हम यही साधारणतः ये सवाल करते हैं… आप कैसे है? कैसी हो? जवाब यही होता है हा ठीक है, भले ही अन्दर ही अन्दर कितने परेशान क्यों ना हो? और इसी एक झूठ के सहारे खुद को तसल्ली देकर जी रहे होते हैं l भले खुश हो या ना हो पर जवाब यही रहता है हा सब ठीक है, कभी – कभी लगता है ये दूनिया ढ़ोग के प्रपंच में इतना उलझ गया है कि हर कोई अपने चेहरे पर नकाब लगा चल रहा है और एक झूठी मुस्कान के साथ जिन्दगी जी रहा है ये गलत ही तो है खुश ना होते हुए भी खुश होने का ढ़ोग करना आखिर कब तक ❓आखिर कब तक ये ढ़ोग किया जाए अपने अरमानों का गला घोंटा जाए?

हा कभी कभी ये सवाल आप कैसे है? कैसी है? का जवाब हा ठीक हूँ, ठीक है, उचित भी लगता है क्योंकि एक झूठ के वजह से आपके सामने वाला के चेहरे पर नमी नहीं आता है… पर हर इंसान कहीं न कहीं उलझा हुआ तो है , कभी कभी हम न सामने वाले का दुख दर्द देख सुन कर अपना दुख दर्द भूल जाते हैं इसलिए मेरा मानना है जितना हो सके दूसरों के दर्द बाटना चाहिए और किसी को परेशान देखने से एक बार तो पुछ ही लेना चाहिए किस बात से परेशान है कुछ हल ना निकाल सको तो बस इतना कह दो सब ठीक होगा बस इतनी सी सहानुभूति के बोल सामने के दुख को कम करे या ना पर अन्दर से सहनशील बना देगा l

खैर ये दूनिया मतलबी होते जा रही सबकी अपने जिन्दगी की पड़ी है , स्वार्थ की नींव पर आजकल रिश्ते-नाते भी लोग निभाने लगे है तो दूसरो की जिंदगी में सहानुभूति क्या दिखायेंगे l

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