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Mahatma Gandhi International Hindi University: हमारा संकल्‍प ही भारत की समृद्धि का साधन है: कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्‍ल

Mahatma Gandhi International Hindi University: हम पहले ऐसे विश्‍वविद्यालय थे जिसने अपनी समझ के साथ शिक्षा नीति पर एक पुस्‍तक प्रकाशित की थी: कुलपति प्रो. शुक्‍ल


ब्यूरो रिपोर्ट

वर्धा, 15 अगस्‍त: Mahatma Gandhi International Hindi University: महात्‍मा गांधी अंतरराष्‍ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्‍ल ने स्‍वतंत्रता दिवस के अवसर पर ध्‍वजारोहरण किया। इस अवसर पर उपस्थितों को संबोधित करते हुए उन्‍होंने कहा कि भारत का जन प्रत्येक वर्ष नये सपने नई आकांक्षाओं और चिरपुरातन संकल्‍प के साथ एकत्रित होता हैं।

राष्‍ट्रध्‍वज के प्रति सम्‍मान प्रदर्शित करते हुए यह भाव प्रकट करते हैं कि हम भी भारत के लिए कुछ करेंगे। अपने देश और माटी के लिए अपने जीवन का अपने सभी प्रकार के यत्‍नों का यथासंभव योगदान करेंगे, ये योगदान का संकल्‍प भारत की समृद्धि और प्रगति वैश्‍विक और राष्‍ट्रीय परिप्रेक्ष्‍य में भारत की समृद्धि का एकमेव साधन है।

कुलपति प्रो. शुक्‍ल ने कहा कि आज़ादी का अमृत महोत्‍सव पिछले 23 मार्च से प्रारंभ हुआ है। दांडी यात्रा का उल्लेख करते हुए उन्‍होंने कहा कि स्‍वातंत्र्य के लिए सविनय प्रतिरोध और जनजागरण के माध्‍यम से सुराज और स्‍वातंत्र्य प्राप्‍त करने का सपना देखा गया था। यह सपना बड़ा था। स्‍वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने को आएंगे तो इस सपने का बड़ा हिस्‍सा साकार होने को आएगा।

राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति का उल्‍लेख करते हुए उन्‍होंने कहा कि हम अपने हिस्‍से के काम को श्रेष्‍ठ नीति से अग्रगामी रहते हुए पूरा किया है। हम पहले ऐसे विश्‍वविद्यालय थे जिसने अपनी समझ के साथ शिक्षा नीति पर एक पुस्‍तक प्रकाशित की थी। नीति के क्रियान्‍वयन की दिशा में भी हम अग्रसर है।

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पाठ्यक्रम और पाठ्यविधि में परिवर्तन को लेकर नये भारत की निर्मिति के लिए शिक्षित युवा तैयार करने का एक मानचित्र सामने आया है और इस दिशा में हम काम कर रहे हैं। हमारा स्‍वत्‍व और स्‍वाभिमान ही हमारी पहचान है। शिक्षा क्षेत्र में पुनर्रचना का उल्लेख करते हुए उन्‍होंने कहा कि आईआईटी और एनआईटी में 6 भारतीय भाषाओं में पढ़ाई प्रारंभ हुई हैं। चिकित्‍सा विज्ञान की पढ़ाई अब भारतीय भाषाओं में होगी। इस दृष्टि से इस विश्‍वविद्यालय की जिम्‍मेदारी बढ़ गयी है। विश्‍वविद्यालय में भारतीय अनुवाद संघ की स्‍थापना की है और इस दिशा में आगे बढ रहे हैं।

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उन्‍होंने कहा कि कोरोना कालखंड में चुनौतियों का सामना करते हुए हमने शिक्षा नीति को लागू करने के लिए स्‍वयं को तैयार किया है। हमें हर प्रकार की प्रविधि और प्रारूप में श्रेष्‍ठ शिक्षा देनी होगी । उन्‍होंने कहा कि कोरोना के इस काल में विश्‍वविद्यालय ने दो सौ से अधिक संवाद के कार्यक्रम आयोजित किये हैं। हमें सम्मिश्र पद्धति से शिक्षा की आदत डालनी होगी। उन्‍होंने कहा कि विश्‍वविद्यालय शोध और अनुसंधान पर अधिक ध्‍यान देगा। इसके लिए आवश्‍यक सहयोग और उपस्‍कर उपलब्‍ध कराने का आश्‍वासन भी उन्‍होंने दिया।

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कुलपति प्रो. शुक्‍ल ने विश्‍वविद्यालय (Mahatma Gandhi International Hindi University) की भावी योजनाओं की जानकारी देते हुए आने वाले सत्र से छात्रों को विकास के लिए एनसीसी पढ़ाई और इकाई शुरू करने की जानकारी दी। विश्‍वविद्यालय की रैंकिंग में सुधार का संदर्भ देते हुए उन्‍होंने भरोसा दिलाया कि देश के श्रेष्‍ठ विश्‍वविद्यालयों में हम अपना स्‍थान निश्चित प्राप्‍त कर सकेंगे।

विश्‍वविद्यालय की अंतरराष्‍ट्रीय पहचान के संबंध में उन्‍होंने कहा कि अल्‍पकालिक हिंदी भाषा शिक्षण के ऑनलाइन पाठ्यक्रम प्रारंभ किये हैं और इसे भारतीय सांस्‍कृतिक संबंध परिषद के सहयोग से विविध देशों के साथ संचालित किया जाएगा और पहला कार्यक्रम अगले 16 सितंबर से भूटान के साथ प्रथम कार्यक्रम प्रारंभ करने जा रहे हैं।

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महात्‍मा गांधी की दृष्टि और विश्‍वविद्यालय के संबंधों उन्‍होंने कहा कि गांधी दर्शन को समकालिन परिस्थितियों में समझा जाए इसके लिए भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद और भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद इन दो श्रेष्‍ठ अनुसंधान परिषदों के साथ हुए महत्‍वपूर्ण समझौता किया है। जिससे विश्‍वविद्यालय अपनी अकादमिक क्षमता का उपयोग करते हुए पूरी दुनिया के लिए आवश्‍यक शांति और अहिंसा का न्‍यूनतम मशीन और अधिकतम मनुष्‍य का प्रयोग करते हुए श्रेष्‍ठ, संपोष्य सभ्‍यता किस प्रकार से स्‍थापित हो सकती है इसके लिए एक दृष्टि का प्रतिपादन करेगा। उन्‍होंने कहा कि खेल गतिविधियां बढ़ाते हुए विश्‍वविद्यालय क्रीडा के क्षेत्र में भी अपनी पहचान बनाएगा।

ध्‍वजारोहण कार्यक्रम से पहले कुलपति प्रो. शुक्‍ल ने गांधी हिल पर महात्‍मा गांधी की प्रतिमा पर माल्‍यार्पण कर अभिवादन किया। इस अवसर पर प्रतिकुलपति द्वय प्रो. हनुमान प्रसाद शुक्‍ल, प्रो. चंद्रकांत रागीट, कुलसचिव कादर नवाज खान, विभिन्‍न विद्यापीठों के अधिष्‍ठातागण, विभागाध्‍यक्ष, कर्मचारी, शोधार्थी एवं विद्यार्थी बड़ी संख्‍या में उपस्थित थे।