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Amrit Grand Challenge Program: बीएचयू की वैज्ञानिक के स्टार्ट अप को मिला अनुदान

बीएचयू की वैज्ञानिक के स्टार्ट अप को मिला भारत सरकार की(Amrit Grand Challenge Program) “अमृतग्रैंड चैलेंज प्रोग्राम” पहल के तहत अनुदान

  • Amrit Grand Challenge Program: स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नवोन्मेष को प्रोत्साहित करने के लिए भारत सरकार ने आरंभ की थी योजना
  • प्रोस्टेट कैंसर का शीघ्र पता लगाने की प्रक्रिया की खोज के लिए किया जाएगा अनुदान का इस्तेमाल

रिपोर्ट: डॉ राम शंकर सिंह
वाराणसी, 14 जनवरी:
Amrit Grand Challenge Program: सेंटर फॉर जेनेटिक डिसऑर्डर, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, में बतौर वैज्ञानिक कार्यरत डॉ. गरिमा जैन के स्टार्ट अप को स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नवोन्मेष के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार, द्वारा वित्त पोषित प्रतिष्ठित “अमृतग्रैंड चैलेंज प्रोग्राम- जन केयर” अनुदान दिया गया है।

कैंसर जीनोमिक्स में विशेषज्ञता रखने वालीं डॉ. जैन ने “मिरनाउ” नामक स्टार्ट अप शुरू किया है और वे नैदानिक समाधानों के माध्यम से रोगी देखभाल और परिणामों में सुधार करना चाहती हैं. इन समाधानों को सभी के लिए सुलभ बनाने के लक्ष्य के साथ कैंसर और हृदय रोगों के लिए शीघ्र, कार्रवाई योग्य और व्यक्तिगत निदान के लिए समाधानों पर काम कर रहा है। यह स्टार्ट अप नए बायोमार्कर की पहचान करने और अभिनव स्वास्थ्य सेवा समाधान प्रदान करने का प्रयास करता है। यह टेलीमेडिसिन, डिजिटल हेल्थ, बिग डेटा, एआई और ब्लॉक चेन के क्षेत्र में इस प्रतियोगिता में चुने गए 75 स्टार्ट-अप इनोवेशन में से एक है।

भारत सरकार की पहल के तहत वित्तीय सहायता मिलने पर उत्साह व्यक्त करते हुए डॉ. गरिमा जैन ने कहा कि “मिरनाउ” शुरुआती नैदानिक समाधानों की खोज के लिए समर्पित है जो जीवन को बचा सकते हैं। उन्होंने बताया कि इस अनुदान का इस्तेमाल प्रोस्टेट कैंसर का शीघ्र पता लगाने की प्रक्रिया की खोज के लिए किया जाएगा। वर्तमान में इसका पता लगाने के लिए बायोप्सी की प्रक्रिया का प्रयोग होता है, जिसमें चीरफाड़ की ज़रूरत पड़ती है। इस नयी प्रक्रिया के अंतर्गत माइक्रोआरएनए की मौजूदगी को मशीन अथवा प्रौद्योगिकी की सहायता से पता लगाने पर काम किया जाएगा।

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जय केयर – अमृत ग्रैंड इनोवेशन चैलेंज (Amrit Grand Challenge Program) की शुरुआत भारत सरकार ने NASSCOM के साथ संयुक्त रूप से उद्योग जगत, निवेशकों, अस्पतालों तथा इन्क्यूबेटर नेटवर्क के सहयोग से की थी। इस पहल का उद्देश्य टेलिमेडिसीन व डिजिटल चिकित्सा समेत चिकित्सा प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्रों में 75 नवोन्मेषी स्टार्ट अप की पहचान करना व उन्हें सहयोग उपलब्ध कराना था, ताकि भारत में स्वास्थ्य सेवा डिलिवरी व्यवस्था को और सशक्त बनाया जा सके।

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विज्ञान संस्थान के निदेशक, प्रो. अनिल कुमार त्रिपाठी ने कहा – “भारत जैसे देश के लिए, डॉ. गरिमा जैन जैसे कई और वैज्ञानिकों की आवश्यकता है, जो स्वास्थ्य सेवाओं को किफायती बनाने के लिए वैज्ञानिक ज्ञान में प्रगति करने के लिए उत्साहित हैं”। सेन्टर फॉर जेनेटिक डिसऑर्डर्स के समन्वयक प्रो. परिमल दास डॉ. गरिमा जैन को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि उनकी परियोजना के साथ अब सेन्टर फॉर जेनेटिक डिसऑर्डर्स ने उद्यमिता के क्षेत्र में भी कदम बढ़ा लिया है.

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