Last day of college: क्या तुम्हें भी हमारी याद आती है….
“देखो न” (Last day of college)
Last day of college: आज फिर बादल बरस रही
क्या तुम्हें भी हमारी याद आती है
जब- जब बारिश आती है
हम और तुम साथ बारिश
बरसों हो गये दूर हुए तुमसे ,
पर लगता है बीतें कल की हो बातें
कालेज का वो आखिरी दिन मेरा
और तुमसे पहली मुलाकात हुई
वो मुझे बारिश में भीगता देख
छतरी अपना मुझे थमाया तुमने,
जो मना ना कर पायी क्योंकि
मुझे देर हो रही थी इम्तहान को
जल्दबाजी में मैं बोली कल मिलते हैं
तुमने भी जवाब दिया छतरी वापस जरूर करना
फिर क्या दूसरे दिन पहुँच गयी छतरी वापस करने,
और हमने पाया तुम बेसब्री से इंतजार कर रहे
सामने पहुंचे तुमसे शुक्रिया बोली और
बिना जाने तुम्हारे बारे में निकल पड़ी घर को
अचानक तेज बारिश आ गयी
और ना चाहते हुए भी मुझे रूकना पड़ा,
तुम्हारी छतरी में…….
घंटो बारिश हुई और इसी बीच
हम दो अजनबी कब आपस इतने घुलमिल गए
मानों सालों की थी जान -पहचान
फिर क्या बारिश थमने का नाम नहीं ले रही थी,
काफी देर होने के वजह से घर कैसे पहुंचे
चिंता सताने लगी दोनों को
फिर तय हुआ एक कप चाय की चुस्की लिया जाए
बारिश भी कम होने लगी
पास में एक चाय की दुकान दिखा
वही गए बारिश में चाय का मिलना ,
एक अलग ही सुकून होता है मेरे लिए
तुमने भी कमाल कर दिया मुझे छतरी देकर
चाय पर बुलाने का बहाना कोई तुमसे सीखे
ऐसा हमने तुमसे कहा तुम्हारे चेहरे पर हंसी लाने को,
क्योंकि तुम मुस्कुराते हुए बहुत अच्छे लग रहे थे
और फिर मिलने के वादें करके अपने घर के लिए निकल पड़े
खैर अब तो बस यादें ही खूबसूरत लम्हें की
जो बिताया था हमने साथ -साथ ।
Ek Raat: एक रात ऐसी भी… ममता कुशवाहा