Hindi diwas: हिंदी का दर्द…
Hindi diwas !!हिंदी का दर्द!!
हिंदी का दर्द
आज सुबह उठी
तो कलम बोली चलो बहन,
तैयार हो जाओ आज
तुम्हारा सम्मान है
मैं भी आश्चर्यचकित सी
देखती रही
हिंदुस्तान में हिंदी दिवस मनाने की आवश्यकता क्यों पड़ी?
क्या दूसरी भाषा हिंदी पर
हावी होने लगी
अरे, हां मैं हिंदी हूं
जिससे तुम बहुत प्यार करते हो
लिखते पढ़ते और समझते हो
अनपढ़ भी मुझे समझ जाए
मैं सरल सहज मातृभाषा हूं
सबको एक सा सम्मान
दिलाती हूं
अरे, हां मैं हिंदी हूं
सारे हिंदुस्तान के
माथे की बिंदी हूं
क्या मैं खों सी गई हूं
या भुला दी जाऊंगी भविष्य में
पीढ़ी दर पीढ़ी रहूंगी ना?
बदल रही संस्कृति बदल रहा आचरण हमारा
मुझ को सम्मान दिलाने के लिए क्या इसलिए चिंतन मनन जरूरी है?
अरे, हां मैं हिंदी हूं
सारे हिंदुस्तान के माथे की बिंदी हूं
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