बाहर से शांत दिखने वाली चुप चाप सी, लड़कियों (Girls) के भीतर होती है एक और लड़की
बाहर से शांत दिखने वाली चुप चाप सी
लड़कियों (Girls) के भीतर होती है एक और लड़की
जो चीखना चाहती है, चिल्लाना चाहती है
रोना चाहती है,
बाथरूम मे छुपकर नहीं, बल्कि ज़ोर ज़ोर से
अपने सबसे प्यारे इंसान को कस के पकड़ कर।
बताना चाहती हैं वो सब कुछ
जो चल रहा है उनके भीतर
लेकिन, कभी बता नहीं पाती
पता है क्यूँ?
क्यूंकि, कभी किसी ने जरूरत ही नहीं समझी
उनके जिंदगी के पन्नों को पढ़ने की,
इस तरह उन्होंने बना ली आदत
जिंदगी के पन्नों को दिल की तहों में क़ैद करने की
और अब ये काग़ज़ वक्त की मार से
इतना सड़ चुके हैं कि लगता है एक डर
इनके फट जाने का
और यही डर बाँध देता है उनके मन को
यही डर नहीं देता है उन्हें इजाजत,
इन पन्नों को साझा करने की।
और इस तरह उस लड़की (Girls) के
चीखने की आवाज़ भी नहीं आ पाती
उसके मन की दीवारों से बाहर,
रो लेती है वो बाथरूम के किसी कोने में बैठकर
फ़िर मुँह धो कर बाहर निकलती है
वही शांत चुप – चाप सी लड़की।
~अंजलि
*हमें पूर्ण विश्वास है कि हमारे पाठक अपनी स्वरचित रचनाएँ ही इस काव्य कॉलम में प्रकाशित करने के लिए भेजते है। अपनी रचना हमें ई-मेल करें writeus@deshkiaawaz.in
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