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Corona”कोरोना कोरोना करता है आदमी!”

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जय कुमार सिंह
   कार्बी आंगलांग, असम

corona “कोरोना कोरोना करता है आदमी!”

कितने रंग बदलते हो,
नये- नये बदलाव लाते हो ।
  सालों- साल …
अपनी पहचान में,
अपना रूप बदलते हो।।
         पहले से और ज्यादा …
         लोगों का खौफ बढ़ाते हो।
         कोरोना, आखिर कब तक…?
आधुनिकता की  दौर में,
और कोरोना काल में। 
भूल जाना,
लोगों से गले मिल के,
सेल्फी खिंचवाना।
लोगों से अलगाव रखना,
है जिंदगी जीना…!
  वरना …..!
तैयार रहो
कोरोना कोरोना करना ।।
           कोरोना की खौफ से,
           त्राहि-त्राहि है दुनिया …!
           फिर भी, 
 हालात- ए- दहशत में जीता है न मरता है आदमी
 राम नाम भूलकर कोरोना (corona) कोरोना करता है आदमी।।

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