अडूसा- कफ रवाँसी का अचूक इलाज
आयुर्वेद से आरोग्य – 03
- वानस्पतिक नाम- Adhatoda zeylanica (अधाटोड़ा जियलेनिका)
- कुल- एकेन्थेसी (Acanthaceae)
- हिन्दी- अडूसा, बंसा
- अंग्रेजी- वसाका, मलाबार नट (Vasaka, Malabar Nut)
- संस्कृत- वसाका, वासा, अरुस
प्राचीन काल से अडूसा का उपयोग कई बीमारियों के इलाज के लिए किया गया है। अडूसा का वानस्पतिक नाम अधाटोड़ा जियलेनिका है। कफ को दूर करने के लिए अडूसा की पत्तियों के रस को शहद में मिलाकर दिया जाता है। इसी नुस्खे से अस्थमा का इलाज भी होता है। पातालकोट के आदिवासी टी.बी. के मरीजों को अडूसा की पत्तियों का काढ़ा बनाकर 100 मि.ली. रोज पीने की सलाह देते हैं अडूसा शरीर में जाकर फेफड़ों में जमे कफ और गंदगी को बाहर निकालता है। इसी गुण के कारण इसे ब्रोंकाइटिस के इलाज का रामबाण माना जाता है। बाजार में बिकने वाली अधिकतर कफ की आयुर्वेदिक दवाइयों में अडूसा का प्रयोग किया जाता है।
अडूसा की पत्तियों में कुछ ऐसे एलक्लॉएड होते हैं जिसकी उपस्थिति के कारण फंगस या कीड़े इस पर हमला नहीं करते। डाँग के आदिवासी कान में होने वाले संक्रमण को ठीक करने के लिए अडूसा की पत्तियों को पीसकर तिल के तेल में उबालते हैं और इस मिश्रण को हल्का गुनगुना होने पर छानकर कान में डाला जाता है। इससे कान के दर्द में भी राहत मिलती है। दिल के मरीजों को अडूसा और अंगूर के समान मिश्रण का रस पीना चाहिए। अडूसा के फलों को छाया में सुखाकर, महीन पीसकर, 10 ग्राम चूर्ण में थोड़ा गुड़ मिलाकर 4 खुराक बना लिया जाए और सिरदर्द शुरू होते ही 1 खुराक खिला दिया जाए तो तुरंत लाभ होता है।(साभार: आदिवासियों की औषधीय विरासत पुस्तक से )
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