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पौरुषत्व के लिए अजवायन,जानिए और क्या है इसके फ़ायदे

आयुर्वेद से आरोग्य – 02

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  • वानस्पतिक नाम- Trachyspermum ammi (ट्रेकीस्पर्मम एम्माई)
  • कुल- एपीएसी (Apiaceac)
  • हिन्दी- अजवायन, अजोवन, अजोवन्ज

अंग्रेजी- कैरम, अजोवन (Carum, Ajowain) संस्कृत- यमानिका, अजमोदा, अजमोदिका
किचन में उपयोग में आने वाले मसालों का औषधीय महत्त्व कितना हो सकता है इसका सटीक उदाहरण अजवायन है। अजवायन का वानस्पतिक नाम ट्रेकौस्पर्मम एम्माई है। आदिकाल से लोग इसके बीजों का उपयोग विभिन्न तरह के रोगों के निवारण के लिये करते आ रहे हैं। पान के पत्ते के साथ अजवायन के बीजों को चबाया जाए तो गैस, पेट में मरोड़ और एसीडिटी से निजात मिल जाती है।

पेट दर्द होने पर अजवायन के दाने 10 ग्राम, सोंठ 5 ग्राम और काला नमक 2 ग्राम को अच्छी तरह मिलाया जाए और फिर रोगी को इस मिश्रण का 3 ग्राम गुनगुने पानी साथ दिन में 4-5 बार दिया जाए तो आराम मिलता है। अस्थमा के रोगी को यदि अजवायन के बीज और लौंग की समान मात्रा का 5 ग्राम चूर्ण प्रतिदिन दिया जाए तो काफी फायदा होता है। यदि बीजों को भूनकर एक सूतो कपड़े में लपेट लिया जाए और रात में तकिये के नजदीक रखा जाए तो दमा, सर्दी, खाँसी के रोगियों को रात को नींद में साँस लेने में तकलीफ नहीं होती है।

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माइग्रेन के रोगियों को पातालकोट के आदिवासी हर्बल जानकार अजवायन का धुंआ लेने की सलाह देते हैं। डाँग-गुजरात के आदिवासी अजवायन, इमली के बीज और गुड़ की समान मात्रा लेकर घी में अच्छी तरह भून लेते हैं और फिर इसकी कुछ मात्रा प्रतिदिन नपुंसकता से ग्रसित व्यक्ति को देते हैं, इन आदिवासियों के अनुसार ये मिश्रण पौरुषत्व बढ़ाने के साथ-साथ शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाने में भी मदद करता है। (साभार: आदिवासियों की औषधीय विरासत पुस्तक से )

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