International Rice Research Institute

International Rice Research Institute: वाराणसी में अन्तर्राष्ट्रीय चावल अनुसन्धान संस्थान ( इरी ) द्वारा आयोजित हुई कार्यशाला

International Rice Research Institute: महिला किसानों के लिए इरी ने की क्षमता निर्माण परियोजना की शुरुआत

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रिपोर्ट: डॉ राम शंकर सिंह
वाराणसी, 09 मई:
International Rice Research Institute: अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (इरी) दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र (आइसार्क) ने भारत में कृषि क्रांति लाने के उद्देश्य से एक परिवर्तनकारी परियोजना की शुरुआत की. इस सन्दर्भ मे एक महत्वपूर्ण स्थापना कार्यशाला गुरुवार को आयोजित की गई. “खाद्य सुरक्षा और आय बढ़ाने के लिए कृषि में तकनीकी नवाचार: भारत में चावल आधारित कृषि-खाद्य प्रणालियों की महिला किसानों (और वैज्ञानिकों) के साथ एक क्षमता विकास पहल” शीर्षक वाली कार्यशाला में देश भर के प्रमुख हितधारकों ने भाग लिया.

इस कार्यशाला मे विभिन्न भारतीय कृषि विश्वविद्यालयों और संस्थानों के क़ृषि वैज्ञानिको ने शिरकत किया. प्रमुख रूप से बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (वाराणसी, उत्तर प्रदेश), असम कृषि विश्वविद्यालय (जोरहाट, असम), बिहार कृषि विश्वविद्यालय (सबौर, बिहार), इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय (रायपुर, छत्तीसगढ़), के आचार्य, प्रोफेसर और वैज्ञानिक तथा कार्यशाला में नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (कुमारगंज, अयोध्या), बिरसा एग्रील विश्वविद्यालय (रांची, झारखंड) और आईसीएआर-भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (वाराणसी, उत्तर प्रदेश) के प्रतिनिधयों ने भागीदारी किया.

भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) द्वारा समर्थित, यह अग्रणी प्रयास भारत की चावल-आधारित कृषि प्रणालियों में महिला किसानों और वैज्ञानिकों की क्षमता विकास आवश्यकताओं को संबोधित करने के लिए एक सहयोगात्मक प्रयास का प्रतिनिधित्व करता है।

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इस पहल के ज़रिये डीबीटी और इरी का लक्ष्य चावल आधारित कृषि-खाद्य प्रणालियों में लगी महिला किसानों और वैज्ञानिकों को सशक्त बनाना है। अपने शुरुआती चरण (‘चावल की खेती में प्रौद्योगिकी नवाचार – भारत में महिला किसानों को सशक्त बनाना)’ की सफलता के आधार पर, जो चावल उत्पादन में महिला किसानों को प्रशिक्षित करने पर केंद्रित था, यह परियोजना व्यापक दायरे और उन्नत उद्देश्यों के साथ अपने दूसरे चरण में प्रवेश कर रही है।

आइसार्क ने इस परियोजना को दो समूहों में आगे बढ़ाने की योजना बनाई है: उत्तरी मध्य क्लस्टर (उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड) और पूर्वी क्लस्टर (असम, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और ओडिशा)। 500 महिला किसानों और 100 महिला वैज्ञानिकों को सशक्त बनाने की दृष्टि से, इस परियोजना का लक्ष्य लक्षित राज्यों में खाद्य सुरक्षा और आजीविका को मजबूत करना है।
दूसरे चरण में, प्रमुख पहलों में महिला किसानों को प्रभावी ढंग से शिक्षित करने के लिए कुशल प्रशिक्षकों को प्रशिक्षित करना, क्षमता विकास की जरूरतों को पूरा करने के लिए एक सहयोगी शिक्षण समूह की स्थापना करना और परियोजना निगरानी और निरंतर सीखने के लिए समीक्षा कार्यशालाओं का आयोजन करना शामिल है। इसके अतिरिक्त, परियोजना के प्रभाव का आकलन करने और प्रभावशीलता सुनिश्चित करने के लिए एक व्यापक निगरानी और मूल्यांकन ढांचा लागू किया जाएगा।

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कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए आइसार्क के निदेशक डॉ. सुधांशु सिंह ने भारत में महिला किसानों के बीच क्षमता विकास की आवश्यकता पर बल दिया। इस कार्यशाला का उद्घाटन करते हुये डॉ सुधांशु ने कहा कि “हमारा आज का प्रयास इस स्वीकारोक्ति से उपजा है कि फसल प्रबंधन में उनके अमूल्य अनुभव के बावजूद, कई महिला किसान अभी भी घरेलू जिम्मेदारियों से बाधित हैं।

आपने आगे कहा कि मेरा दृढ़ विश्वास है कि सक्रिय भागीदारी, सामूहिक विशेषज्ञता और साझा अनुभव विचारों, फीडबैक और अंतर्दृष्टि के खुले आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान करेंगे. अंततः परियोजना गतिविधियों को आकार देंगे और जमीन पर उनकी प्रभावशीलता सुनिश्चित करेंगे, जिससे हमारी महिला किसानों को लाभ होगा.

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