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Bharatendu 171st birth anniversary: स्वराज का लक्ष्य स्वभाषा से ही प्राप्त हो सकता है : प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल


वर्धा, 10 सितम्बर: Bharatendu 171st birth anniversary: महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने कहा है कि स्वराज का लक्ष्य स्वभाषा से ही प्राप्त हो सकता है। बहुत जिद और जूनून के साथ स्वराज का रास्ता तय होता है। प्रो. शुक्‍ल 9 सिंतबर को भारतेंदु की 171 वीं जयन्ती के अवसर पर क्षेत्रीय केंद्र प्रयागराज, द्वारा भारतेंदु का भाषिक स्वराज विषय पर राष्ट्रीय वेबीनार की अध्यक्षता करते हुए संबोधित कर रहे थे।

उन्‍होंने कहा कि भारतेंदु की कविता की भाषा देसी है। उस पर गुजराती का और पंजाबी का भी प्रभाव है। उनकी भाषा बनारस की स्थानीय भाषा है। प्रो. शुक्‍ल ने कहा कि हिंदी विश्वविद्यालय के रूप में बलिया में देखा गया सपना शताब्दियों बाद पूर्ण हो पाया। इस लिहाज से हिंदी विश्वविद्यालय उनका आजीवन कृतज्ञ रहेगा। निज भाषा की राह पर मदन मोहन मालवीय और महात्मा गांधी भी आगे चले। उन्होंने कहा कि भारत में मौलिक चिंतन के प्रश्न को भारतेंदु ने उठाया और मौलिक चिंतन के माध्यम से स्वाबलंबन और स्वराज पाने की जरूरत पर बल दिया।

हिमाचल प्रदेश केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रो. हरमोहिंदर सिंह बेदी ने कहा कि हिंदी दिवस से पूर्व हिंदी भाषा के पुरोधा पर बात करना बहुत सुखद है। लाहौर पब्लिक लाइब्रेरी में भारतेंदु के नाम पर एक कोना भी है वहां कवि वचन सुधा के बहुत से अंक भी हैं। भारतेंदु ने पंजाबी में भी कवितायें लिखीं। वह आधुनिक भारतीय भाषा की वकालत करने वाले चिन्तक, मनीषी हैं। उन्‍होंने कहा कि पंजाबी पत्रिका “जमींदार” में स्वतंत्रता आन्दोलन पर बड़ी बहसें छपती थीं। जमींदार के दफ्तर में भारतेंदु ने कहा कि अगर देश अपनी भाषा से जुड़ जाएगा, तो वह अपने देश के साहित्य, संस्कृति और परम्परा से स्वयं ही जुड़ जाएगा। भारतेंदु ने पूरे देश के साथ भाषा के मुद्दे पर संवाद किया।

Bharatendu 171st birth anniversary

हिंदी विश्‍वविद्यालय के प्रति-कुलपति प्रो. हनुमानप्रसाद शुक्ल ने कहा कि भाषा का प्रयोक्ता और भाषा एक ही जलवायु में विकसित होता है। भारत के भाषाई जलवायु में बहुत से आंधी तूफ़ान और बदलाव आये हैं यह बदलाव भाषा में स्पष्ट दिखते हैं। (Bharatendu 171st birth anniversary) भारतेंदु ने राजा शिवप्रसाद सितारे हिन्द और लक्ष्मण सिंह से अलग हिंदी की नई चाल गढ़ी। भारतेंदु हमारे नायक थे और नायकों से समाज को बहुत अपेक्षाएं होती हैं।

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रो. सुधीर प्रताप सिंह ने कहा कि भारतेंदु हरिश्चंद्र ने धन के विदेश चले जाने और अंग्रेजों द्वारा लागू किये गए टैक्सों का विरोध किया था। ज्ञान, सभ्यता, संस्कृति में पहले पायदान पर होने के बावजूद टैक्स लगाकर देश को लूटा जा था। उन्‍होंने कवि वचन सुधा, बलिया वाले भाषण और भारत की उन्नति कैसे हो सकती है के कई उद्धरण प्रस्तुत किये।

गोरखपुर विश्वविद्यालय के प्रो. प्रत्युष दुबे ने (Bharatendu 171st birth anniversary) भारतेंदु के नाटक, निबंध के माध्यम से बताया कि नाटक के दो लक्षण है लोक शिक्षण एवं देश वत्सलता, यह अपनी भाषा, लोक भाषा में ही संभव है। भारतेंदु ने निज भाषा की उन्नति के साथ दूसरी भाषाओं की उन्नति पर भी चर्चा की। भारतेंदु ने निज माध्यम से स्वराज पाने का मुद्दा जोर शोर से उठाया था।

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लखनऊ विश्वविद्यालय की प्रो. अलका पांडे ने कहा कि (Bharatendu 171st birth anniversary) भारतेंदु का साहित्य संक्राति कालीन चेतना का प्रतिरूप है। भारतेंदु ने काव्य के लिए ब्रज भाषा तो गद्य के लिए खडी बोली का अपनाया। विश्‍वविद्यालय के साहित्य विद्यापीठ के प्रो. कृष्ण कुमार सिंह ने कहा कि हरिश्चंद्र मैगज़ीन हिंदी भाषा को महत्वपूर्ण देन है। बलिया वाले भाषण की आख़िरी पंक्ति का उद्धरण देते हुए उन्‍होंने भारतेंदु का संदेश “परदेसी वस्तु और परदेसी भाषा पर भरोसा मत करो। अपने देश में अपनी भाषा में उन्नति करो” का उल्‍लेख किया ।

कार्यक्रम का संयोजन एवं संचालन क्षेत्रीय केंद्र प्रयागराज के अकादमिक निदेशक प्रो. अखिलेश दुबे ने किया। डॉ. जगदीश नारायण तिवारी ने मंगलाचरण प्रस्तुत किया। स्त्री अध्ययन की सह आचार्य डॉ. अवन्तिका शुक्ल ने वक्ताओं का परिचय दिया। साहित्‍य विद्यापीठ के अधिष्‍ठाता प्रो. अवधेश शुक्ल ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। प्रो. कृपाशंकर चौबे ने भारतेंदु हरिश्चंद्र के साहित्य, कला एवं संस्कृति पर योगदान की चर्चा करते हुए विषय की प्रस्तावना रखी।

स्त्री अध्ययन की सह आचार्य डॉ. आशा मिश्रा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। प्रतिकुलपति प्रो.चंद्रकांत रागीट, प्रो. नृपेन्द्र प्रसाद मोदी, प्रो. प्रीती सागर, डॉ. रामानुज अस्थाना, डॉ. अशोक नाथ त्रिपाठी, डॉ. उमेश कुमार सिंह, डॉ. रामप्रकाश, डॉ. सुप्रिया पाठक, डॉ. अमरेन्द्र शर्मा, डॉ. जयंत उपाध्याय, डॉ.मनोज कुमार राय सहित विश्वविद्यालय के आधिकारिक फेसबुक और यूट्यूब चैनल पर ढेरों दर्शकों ने जुड़कर कार्यक्रम का लाभ उठाया।

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