Marxist criticism: वी के एम मे मार्क्सवादी आलोचना पर व्याख्यान हुआ आयोजित
Marxist criticism: युवा आलोचक प्रोफ़ेसर समीर पाठक ने माक्सवादी आलोचना और डॉ राम विलास शर्मा विषय पर दिया रोचक व्याख्यान
रिपोर्ट: डॉ राम शंकर सिंह
वाराणसी, 17 अप्रैल: Marxist criticism: वसन्त कन्या महाविद्यालय (वी के एम) के हिन्दी विभाग द्वारा एकल व्याख्यान का आयोजन किया गया। जिसका विषय था “मार्क्सवादी आलोचना और राम विलास शर्मा”. मुख्य वक्ता प्रो॰ समीर पाठक, हिन्दी विभाग, डी.ए.वी कॉलेज ने अपने वक्तव्य में कहा कि, “यह साहित्य का सौभाग्य है कि हमारे बीच रामविलास शर्मा जैसे आलोचक रहे हैं।
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आपने आगे कहा कि पालविन्क्स एक तर्कपद्धति है जहाँ एक तर्क दूसरे तर्क को गलत ठहराते हैं। भारत में स्टालिनवाद के पहले आलोचक राम विलास शर्मा है। उनके विचार क्लासिकल मार्क्सवाद से जुड़े है। जातीयता की अवधारणा ही साहित्य का स्थायी मूल्य है। हिन्दी-जाति की एकता के लिए केन्द्रिय भाव 1857 की क्रांति है। हर युग का एक अर्तविरोध होता है। उनके सामने सोवियत यूनियन एक मॉडल है। उस समय हिन्दी में व्यक्तिवादी लेखको का उदय हो रहा था।
प्रो. समीर ने आगे कहा कि डॉ0 राम विलास शर्मा की आलोचना की कुछ असंगतियाँ भी है। शिल्प वस्तु और रूप की समस्या मार्क्सवाद की समस्या है। रामविलास शर्मा कहते हैँ कि, मध्यकाल के तीन त हैँ …तानसेन, तुलसीदास, ताजमहल। आपने रामविलास शर्मा से जुड़े संस्मरणों को सुनाया। रामविलास जी सबसे बड़े आलोचक आचार्य रामचन्द्र शुक्ल को मानते हैँ ।
स्वागत वक्तव्य प्राचार्या प्रो॰ रचना श्रीवास्तव ने दिया। अतिथि वक्ता को पुस्तक प्रदान कर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन और संयोजन हिन्दी विभाग की असोसिएट प्रोफेसर डॉ॰ सपना भूषण ने किया। धन्यवाद ज्ञापन हिन्दी विभाग की अध्यक्षा प्रो॰ आशा यादव ने दिया। इस अवसर पर डॉ॰ शशिकला, डॉ० शुभांगी श्रीवास्तव, डॉ॰ प्रीति विश्वकर्मा, डॉ॰ ज्योति गुप्ता सहित महाविद्यालय के हिन्दी विभाग से स्नातक एवं स्नातकोत्तर की भारी संख्या मे छात्रायें उपस्थित रहीं.
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