BHU Dr Pranjal Chandra

Dr Pranjal Chandra: आई आई टी, बी एच यू के डॉ प्रांजल चंद्रा को मिला प्रतिष्ठित अवार्ड

Dr Pranjal Chandra: एफ एस एस ए आइ ने आईआईटी (बी.एच.यू.) वाराणसी के डॉ. प्रांजल चंद्रा टीम को प्रतिष्ठित “ईट राइट इंडिया रिसर्च अवार्ड- 2022” से सम्मानित किया

Dr Pranjal Chandra: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ मनसुख मंडाविया ने दिया अवार्ड

रिपोर्ट : डॉ राम शंकर सिंह

वाराणसी, 14 जून: Dr Pranjal Chandra: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (का.हि.वि.), वाराणसी में उत्कृष्ट अनुसंधान, छात्र प्लेसमेंट, और अंतःविषयक अनुसंधान कार्यक्रमों के माध्यम से सामाजिक मुद्दों को हल करने की एक समृद्ध परंपरा रही है । इस नवीन विकास में, डॉ. प्रांजल चंद्रा, जैव-रासायनिक अभियांत्रिकी, आईआईटी (बीएचयू), वाराणसी ने अपने शोध छात्र सुप्रतिम महापात्रा के साथ “ईट सेफ” विषय के तहत राष्ट्रीय स्तर पर “ईट राइट रिसर्च अवार्ड -2022” जीता है ।

उक्त पुरस्कार डॉ. प्रांजल चंद्रा (Dr Pranjal Chandra) और उनकी टीम को नैनो-इंजीनियर पोर्टेबल सेंसिंग डिवाइस पर आधारित उनके हालिया आविष्कार के लिए दिया गया है । यह पुरस्कार माननीय केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री, भारत सरकार, डॉ मनसुख मंडाविया द्वारा दिया गया है. उक्त अवार्ड समारोह विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस पर भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफ.एस.एस.ए.आइ.) मुख्यालय, एफडीए भवन, नई दिल्ली में आयोजित किया गया था.

आधिकारिक जानकारी के अनुसार, इसके लिए कुल 280 आवेदन प्राप्त हुए । प्रत्यक्ष सामाजिक प्रभाव डालने वाले विकसित सबसे अत्याधुनिक तकनीकों को इस प्रतिष्ठित सम्मान के लिए स्क्रीनिंग के कई स्तरों द्वारा चुना गया है । उच्च स्तरीय पुरस्कार समारोह में अरुण सिंघल आईएएस और सीईओ, एफएसएसएआई, खाद्य और पोषण के पेशेवर, विकास एजेंसियों, उद्योग संघों और कार्यान्वयन भागीदारों सहित कई सरकारी अधिकारी उपस्थित थे ।

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इस उपलब्धि पर संस्थान के निदेशक प्रो. प्रमोद कुमार जैन ने बधाई देते हुए कहा कि डॉ. प्रांजल चंद्रा (Dr Pranjal Chandra) की शोध टीम द्वारा प्राप्त पुरस्कार बहुत ही नवीन और उत्कृष्ट कार्य है ,जो न केवल नवीन और अत्याधुनिक कार्यान्वयन योग्य प्रौद्योगिकियों को विकसित करने के लिए है, बल्कि सामाजिक समस्याओं को हल करने के लिए संस्थान की प्रतिबद्धता को भी स्पष्ट रूप से दर्शाता है । प्रो. प्रमोद कुमार जैन ने कहा कि इस तरह के उपकरण माननीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी के “मेक इन इंडिया” (Make in India)और “स्टार्टअप इंडिया” (startup India) के दूरदर्शी राष्ट्रीय मिशनों के अंतर्गत आते हैं और अन्य समान विश्लेषणात्मक तरीकों के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं ।

आईआईटी (बीएचयू) न केवल ऐसी तकनीकों को विकसित करने के लिए विभिन्न उद्योगों और हितधारकों के साथ सहयोग कर रहा है, बल्कि आईआईटी (बीएचयू) टेक्नोलॉजी इनोवेशन हब के माध्यम से संकाय सदस्यों और छात्रों का सहयोग भी कर रहा है । विकसित प्रौद्योगिकी का पेटेंट भी आईआईटी (बीएचयू) के माध्यम से दायर किया गया है और वर्तमान में मूल्यांकन के अधीन है ।

अवार्ड प्राप्त करने के बाद डॉ प्रांजल चंद्रा(Dr Pranjal Chandra) ने कहा कि यह डिवाइस मूल रूप से एक एकीकृत प्रणाली है जो व्यक्तिगत रूप से केवल कुछ सेकेंड में क्षारीय फॉस्फेट की प्रत्यक्ष मात्रात्मक पहचान की अनुमति देती है, जो दूध पाश्चराइजेशन का संकेतक है, यह बायोइलेक्ट्रॉनिक उपकरण हथेली के आकार का है और लघु सेटिंग्स में टेस्ट मोलिक्युल की ऑनसाइट पहचान के लिए बहुत आसान है । इस तरह के उपकरणों को मिल्क पार्लर, उद्योगों और घरेलू रसोई में भी लगाया जा सकता है।’

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