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In-laws: ससुराल में “इन-लोज़” से जुडी समस्याओं को कैसे संभालें

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“इन-लोज़” (In-laws)

जब आप शादी करते हैं, तो न केवल एक-दूजे के साथ बल्कि एक-दूसरे के परिवार के साथ भी घनिष्ठ रूप से जुड़ते हैं, जिसके लिये, नए जीवनसाथी के साथ-साथ, ससुराल के सभी सदस्यों (सास, ससुर, जेठ, जेठानी, देवर, देवरानी, ननद, नन्दोई, इत्यादि) के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए सूझ-बूझ के साथ कई एड्जस्टमेन्ट्स  करना आवश्यक हो जाता है। अनुकूलता के लिये जनरल डिस्कशन के हेतु यहां ससुराल के किसी एक रिश्ते को चिन्हित करने के बजाए, सभी व्यक्तिओं के लिये “इन-लोज़”” शब्द का प्रयोग करना बेहतर होगा।

इति शुक्ला, क्लीनिकल सायकोलॉजिस्ट

In-laws: जब आप शादी करते हैं, तो न केवल एक-दूजे के साथ बल्कि एक-दूसरे के परिवार के साथ भी घनिष्ठ रूप से जुड़ते हैं, जिसके लिये, नए जीवनसाथी के साथ-साथ, ससुराल के सभी सदस्यों (सास, ससुर, जेठ, जेठानी, देवर, देवरानी, ननद, नन्दोई, इत्यादि) के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए सूझ-बूझ के साथ कई एड्जस्टमेन्ट्स  करना आवश्यक हो जाता है। अनुकूलता के लिये जनरल डिस्कशन के हेतु यहां ससुराल के किसी एक रिश्ते को चिन्हित करने के बजाए, सभी व्यक्तिओं के लिये “इन-लोज़”” (In-laws) शब्द का प्रयोग करना बेहतर होगा।

ज्यादातर महिलाएं इसके लिए पूरी ईमानदारी से प्रयास करती हैं लेकिन कुछ इन-लोझ से अनुकूल प्रतिक्रिया न मिलने पर कई समस्याएं खड़ी हो जाती हैं। यहां हम इस प्रकार की कुछ प्रमुख समस्याओं और उन्हें कैसे असरदार तरीके से संभाला जा सकता है, इस पर चर्चा करेंगे।

1: इन-लोज़ (In-laws) आपको लगातार कन्ट्रोल में रखना चाहते हैं

यदि यह एक समस्या है, तो इसका मूल कारण खोजने का प्रयास करें। क्या आपके इन-लोझ को इस बात का डर है कि कहीं वे अपने बेटे की जिंदगी में अपनी प्रभुता खो बैठेंगे ? क्या आपके पति हमेशा अपनी मम्मी के सामने आते ही ढीले पड जाते हैं?  क्या यह आदत बचपन से है ? इन व्यवहारों के मूल कारणों का पता लगाकर  अपने पति से उन पर चर्चा करें और उसे समझाएं कि दोनों मिलकर ही इन समस्याओं का समाधान कर सकते हैं। उसके साथ और सहमति से ही आप “इन-लोज़” (In-laws) के इस व्यवहार को बदल पाएंगे।

2: तीखे या कठोर स्वभाव के इन-लोज़ (In-laws)

“इन-लोज़” (In-laws) अगर हमेशा बहुत ही रुक्ष और तीखेपन से पेश आते हों तो आपको चाहिए कि  पति को यह बताएं कि उनका तीक्षण व्यवहार आपकी भावनाओं को गहरी ठेस पहुंचा रहा है और उनके आपत्तिजनक रवैये को शीघ्र ही नरम करना बहुत जरूरी है। ऐसेमें यह आवश्यक है कि आपका पति निरंतर आपके समर्थन में द्रढतापूर्वक बना रहे।  उसको साथ रखकर आप शांत स्वर में इन-लोझ से उनके कठोर व्यवहार के पीछे का कारण भी पूछ सकते हैं। हां, इस समय अपनी ज़ुबान और गुस्से पर विशेष कन्ट्रोल रखें, ताकि आपके मुंहसे ऐसा कुछ न निकल जाए कि बादमें पछतावा हो।

आपको उन्हें बस यह समझाना है कि उनकी पुत्रवधू के नाते आपके आत्मसम्मान का पूरा खयाल रखा जाना चाहिए। यदि सारे प्रयासों के बावजूद कुछ फ़र्क न पडे तो बेहतर यही होगा कि घर्षण की स्थितिको यथासंभव टालने के लिये आप उनसे कम-से-कम बात-चीत करें, व्यवहार में सलामत दूरी बनाये रखें और धैर्यपूर्वक उनके व्यवहार में सुधार की प्रतीक्षा करें। ।

3: वैवाहिक जीवन में लगातार दखल देते इन-लोज़ (In-laws)

इन-लोझ की लगातार दखलंदाजी से बचने के लिए पति-पत्नी को चाहिए कि वे आपसी समझदारी बनाये रखें और उन्हें अपने सभी निजी मामलों की चर्चासे दूर ही रखें । उन्हें चाहिए कि दोनों उनकी उपस्थिति में किसी भी प्रकार की बहस या वाद-विवाद कभी न करें। आप भी उनसे कभी भी अपने पति की गलत आदतों या आपत्तिजनक बातों के बारे में शिकायत न करें। उन्हें स्वयं हल करने का प्रयास करें। जब वे बिनमांगी सलाह देने लगें, तो आप धैर्य के साथ सून जरुर लें, फ़िर आखिरमें आप भले ही वही करें जो आप को उचित लगे । ऐसा कुछ बार होने पर उन्हें अपने आप एहसास हो जाएगा कि उनका हस्तक्षेप कतई जरुरी नहि है और वे अपनी आदत बदल देंगे।

4: बेटे और बहू के बीच झगड़ा कराने वाले इन-लोज़ (In-laws)

यदि वे नाटकीय रुपसे इमोशनल कार्ड का उपयोग करके आपको विलन साबित करने की कोशिश करते रहते हैं तो आपको बहुत सावधान रहना चाहिए । इस तरह के जहरीले इन-लोझ न केवल सास-बहूवाले टीवी सीरियल्स में, बल्कि असल जिंदगी में भी अक्सर देखने को मिलते हैं।

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अगर आप उनके ड्रामे पर गुस्से में प्रतिक्रिया करते हुए उन्हीं की तरह हिस्टीरिकल हो जाएंगे, तो आप हमेशा हारेंगे। आपको समझना चाहिए कि वे जान बूझकर आपको उकसा रहे हैं ताकि आप उनकी उम्मीद के मुताबिक तीव्र प्रतिक्रिया देकर स्वयं खुद को विलन साबित कर दें। वे “बेचारे” बनकर हमदर्दी हासिल करते रहेंगे और आपको मिलेगा धिक्कार। ! इसलिए जरूरी है कि आप उनके फेक ड्रामे को इग्नोर करें और उस वक्त वहाँ से कहिं ओर चले जाएं। मामला थोडा ठंडा होने पर आप को चाहिए कि पति की मोजूदगी में सही मौका देखकर अपनी भावनाओं को स्पष्ट और निष्पक्ष रूप से, मगर बिना किसी बहस के, व्यक्त कर दें । बस, आपका रुझान समाधानकारी हो यह ध्यान रखें।

यह कभी न भूलें कि आपने जिस प्रकार अपने पति को उसके सभी गुणों और दोषों के साथ स्वीकार किया है उसी प्रकार उसके पेरेन्ट्स का भी स्वीकार करना चाहिए – वो “जैसे हैं , वैसे ही”। अलबत्ता, यह भी निहायत जरुरी है कि तकलीफ़दायक स्थिति को सुधारने, समाधान खोजने, रिश्तों को सुधारने और स्वयं को बेहतर बनाने की कोशिशें लगातार होती रहें।

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इन समस्याओं को बहुत नजाकत से संभालें, क्यूंकि वे आपके पति के माता-पिता होने के नाते आपके संपूर्ण प्यार और सम्मान के पात्र हैं। अगर उन्हें अकेले रह जाने का या अपने बेटे को खो देने का डर है, तो आपको उन्हें हमेशा यह महसूस कराना चाहिए कि आप भी उनके साथ ही हैं और हमेशा रहेंगी। अगर उन्हें आपसे एक बेटी की तरह प्यार और सम्मान मिलता रहा, तो वे आपके साथ सुरक्षित और सहज महसूस करेंगे, और अवश्य आपके अनुकूल बनकर रहेंगे।

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