“ शिक्षा (education) का एक दीपक ”: ममता कुशवाहा
“ शिक्षा (education) का एक दीपक ”
education: शिक्षा एक ऐसा दीपक है जिसके प्रकाश से हम सारी दुनिया को देख सकते हैं इस प्रकाश के द्वारा ही हमारा भविष्य उज्जवल होता है ,हमारे जीवन में शिक्षा के शिक्षा का होना अत्यंत आवश्यक हैं कहा जाता है कि समाज में ऐसा भी दिन था शिक्षा का कोई नाम नहीं था लोगों में कोई उमंग नहीं था परंतु जैसे- जैसे समय बदल वैसे -वैसे लोगों में ज्ञान का संचार होने लगा l एक समय ऐसा भी था जब लोग अपना जीवन व्यतीत जंगलो में रहकर करते जहाँ खाने के लिए जंगली जानवरों के मांस फल- फूल खाते थे और पेड़ पौधों के पत्ते पहनकर गुजारा करते थे l
ममता कुशवाहा, पिपरा असली,मुजफ्फरपुर, बिहार l
परंतु आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है और आगे जैसे- जैसे समय परिवर्तन हुआ वैसे- वैसे आवश्यकता अनूसार लोग अविष्कार कर अपने अंधेरे दूनिया को प्रकाशमयी करने लगे और इस तरह शिक्षा (education) का महत्व बढ़ने लगा परन्तु उस आधूनिक युग में पुरुषों के पढ़ाई पर अधिक ध्यान दिया जाता था ,और लड़कियों को उस दौर में शिक्षा से वंचित रखा जाता था अत: लड़कियाँ सिर्फ घर के चुल्हा-चौका संभालने और स्त्री शोषण योग्य समझी जाती थी यह भी देखा गया है उस वक्त गांव में जब किसी के घर पर पत्र आता था तो पढ़ने वाले नहीं मिलते थे ,उस पत्र को पढ़ाने के लिए शिक्षित लोग के पास जाया करते थे और यह अवस्था देखकर लोगों में विज्ञान का संचार हुआ, कुछ कर जाने का इच्छा होने लगा और शिक्षा का महत्व जानने लगे पढ़ाई करना क्यों आवश्यक है और परिणामस्वरूप लड़कियां भी थोड़ी बहुत शिक्षित होने लगी l
गांव के लोग चाहते थे उनकी बहू बेटी घरों में रहे घर का काम करें उन्हें पढ़ा-लिखा से क्या लेना देना है समाज में अनेक भेदभाव कुरीतियां थी जहां महिलाएं जंजीरों में जकड़ी थी समाज में भ्रष्टाचार दंगे, फसाद लूटमार आदि अनेक समस्या थे, मानवता में एकता नाम की कोई चीज नहीं थी, समाज अंधेरों में गिरा हुआ था l महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू, राजेंद्र प्रसाद ,जयप्रकाश नारायण आदि ने हमारे देश की आजादी के साथ-साथ लोगों के शिक्षा की राह पर चलने के लिए जगह- जगह स्कूल खुले जहां बच्चे शिक्षा ग्रहण कर सके और परिवर्तन होना आरंभ हुआ और परंतु उस दौर में भी लड़कियां पढ़ नहीं पा रही थी उन्हें निकलना ही नहीं जाता था और इस बात से लड़कियों को भी कोई असर नहीं पड़ रहा था l
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परन्तु ऐसा समय भी आया और उन्हें लगने लगा पढ़ना आवश्यक है क्योंकि कभी-कभी ऐसा होता था गांव में पढ़ने वाला नहीं मिलता तो उन्हें समस्या हो जाती थी कुछ खत्त आदि पढ़वाने के लिए , वह भी अपने पढ़ने के सपने देखने लगी और अपनी सोच बदली उन्होंने शहरी जीवन पर गाँव के स्कूलों में जाकर अपनी पढ़ाई करना शुरू कर दिया इस तरह सोई हुई आत्मा भटकती हुई आत्मा को जगाने लड़कों से कदम से कदम मिलाना शुरू किया अपने जीवन में संघर्ष करना शुरू किया वह हर बात में लोगों की क्षेत्र में लड़कों से आगे बढ़ने लगी हमारे समाज में ऐसा होता था लड़कियों लड़कों के पीछे हैं और नौकरी नहीं कर सकती काम नहीं सकती मैं कमजोर अपना समझा जाता था और उस दौर में पर्दा प्रथा ,बाल विवाह ,सती प्रथा जैसी कृतियों का परिणाम था परंतु लड़कियों ने आगे बढ़कर इस सोच को बदल दिया वह दर-दर ठोकरें खाई तो उनका जीवन हुआ और समझने लगी जीवन में पढ़ाई जरूरी है रानी लक्ष्मीबाई ,मदर टेरेसा, इंदिरा गांधी ,किरण बेदी आदि महिलाओं में आदर्श स्थापित किया गया है l
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लड़कियों ने यह विचार किया खुद को इतना मजबूत बनाएं कि कोई मुसीबत उसे तोड़ ना सके इतना लेट बनना होगा उन्हें जो हर समस्या हर मुकाबला रूढ़िवादी सोच को पीछे छोड़कर आगे बढ़ सके और उन्होंने हर संघर्ष में आगे बढ़ना शुरू किया ऐसे घरों में जो आज ऐसे ज्योति बनी है जो हर जगह प्रकाशित हो रही है कल्पना चावला ,किरण बेदी, प्रतिभा सिंह पाटिल आदि l आज लड़कियों का (education) स्कूल कॉलेज और निकलती है तो रास्ते में ने अनेक प्रकार के समस्या का सामना करना पड़ता पर वह पीछे नहीं हटती l
अर्थात लड़कों से लड़कियां किसी भी हाल में कम नहीं वर्तमान युग में, कुछ ऐसी भी महिलाएं हैं जिन्होंने बिजनेस से लेकर राजनीतिक, बॉलीवुड, हॉलीवुड खेल इत्यादि क्षेत्र में इतिहास रचा है l हम यही कहना चाहते हैं (education) शिक्षक जीवन का ऐसा दीपक है जो हमें जन्म से मरण तक ज्ञान देता आ रहा है आज समाज में हर वर्ग के लोंगो को शिक्षित होना जरूरी है l