तिलक (Tilak) साधु की पहचान हैं, जानिए कितने प्रकार के होते है तिलक
तिलक (Tilak) साधु की पहचान हैं, जानिए कितने प्रकार के होते है तिलक
धर्म, 12 मार्चः तिलक (Tilak) हिंदू संस्कृति की पहचान माना जाता है। सिर्फ यह ही नहीं ये भी एक दो नहीं बल्कि 80 से भी ज्यादा प्रकार के होते हैं। इन दिनों उत्तरप्रदेश के वृदांवन में वृदांवन वैष्णव कुंभ चल रहा है। इस दौरान गंगा नदी में स्नान के लिए लाखों साधु संत की भीड़ यहाँ आ रही है।
कितने प्रकार के तिलक
हमने अभी तक केवल दो या तीन तरह के तिलक देखे होंगे। लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि साधुओं में कितने तरह के तिलक प्रचलित हैं। अगर हिसाब लगाया जाए तो 80 से भी ज्यादा प्रकार के तिलक साधु समाज में प्रचलित है। जिसमें सबसे ज्यादा 64 तरह के तिलक वैष्णव साधुओं में लगाये जाते हैं। सनातन धर्म में शैव, शाक्त, वैष्णव और अन्य मतों के अलग-अलग तिलक (Tilak) होते हैं। हिंदू धर्म में जितने संतों के मत हैं जितने पंथ है संप्रदाय है उन सब के भी अपने अलग-अलग तिलक होते हैं।
शैव परम्परा में तिलक
शैव परम्परा में ललाट पर चंदन की आड़ी रेखा या त्रिपुंड लगाया जाता है। अमूमन अधिकतर शैव साधु इसी तरह का तिलक लगाते हैं। त्रिपुंड तिलक भगवान शिव के सिंगार का हिस्सा है। शैव परंपरा में जिनके पंथ बदल जाते हैं, जैसे अघोरी, कापालिक, तांत्रिक तो उनके तिलक लगाने की शैली अपने पंथ और मत के अनुसार बदल जाती है।
शाक्त परम्परा में तिलक
शक्ति के आराधक तिलक (Tilak) की शैली से ज्यादा तत्व पर ध्यान देते हैं। वे चंदन या कुमकुम की बजाय सिंदूर का तिलक लगाते हैं। ज्यादातर शाक्त आराधक कामाख्या देवी के सिद्धू सिंदूर का उपयोग करते हैं।
वैष्णव परम्परा में तिलक
वैष्णवों में तिलक (Tilak) के सबसे ज्यादा प्रकार हैं। वैष्णव पंथ राज मार्गी और कृष्ण मार्गी परंपरा में बंटा हुआ है। इनके भी अपने-अपने मत, मठ और गुरु हैं। वैष्णव परंपरा में 64 प्रकार के तिलक बताए गए हैँ।
विष्णु स्वामी तिलक
विष्णु स्वामी तिलक माथे पर दो चौड़ी खड़ी रेखाओं से बनता है। यह तिलक संकरा होते हुए भौहों के बीच तक जाता है।
लालश्री तिलक
लालश्री तिलक यह आस-पास चंदन की वह बीच में कुमकुम या हल्दी की खड़ी रेखा बनी होती है।
श्यामश्री तिलक
श्यामश्री तिलक इसे कृष्ण उपासक वैष्णव लगाते हैं। इसमें आस-पास गोपी चंदन की तथा बीच में काले रंग की मोटी खड़ी रेखा होती है।
रामानंद तिलक
विष्णु स्वामी तिलक के बीच में कुमकुम से खड़ी रेखा देने से रामानंदी तिलक बनता है।
अन्य तिलक
अन्य प्रकार के तिलकों में गणपति आराधक, सूर्य आराधक, तांत्रिक, कापालिक आदि के भिन्न तिलक होते हैं। इनकी अपनी-अपनी उपशाखाएं भी है। जिनके अपने तरीके और परम्पराएं है। कई साधु व सन्यासी भस्म का तिलक भी लगाते हैं।
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