Varanasi women collage

Vasant college for women: वसंत कॉलेज फॉर वूमेन द्वारा शोध प्राविधि पर आयोजित राष्ट्रीय व्याख्यान श्रृंखला

Vasant college for women: जिज्ञासा और उत्सुकता शोध के दो महत्वपूर्ण तत्व, अनुसन्धान और विश्व दृष्टि पर प्रोफेसर गिरीश्वर मिश्र का व्याख्यान

रिपोर्टः डॉ राम शंकर सिंह

वाराणसी, 10 सितंबरः Vasanta college for women: वसंत महिला महाविद्यालय, राजघाट फोर्ट, वाराणसी द्वारा आयोजित सप्तदिवसीय राष्ट्रीय ई-व्याख्यान श्रृंखला के चौथे दिन विशिष्ट वक्ता के रूप में पूर्व कुलपति प्रो. गिरीश्वर मिश्र (महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा, महाराष्ट्र) ने “अनुसंधान और विश्व दृष्टि : उभरते आयाम” विषय पर अपना वक्तव्य देते हुए कहा कि शोध करते समय संचार और सम्प्रेषण का कौशल आना चाहिए।

Vasant college for women: शोध के प्रति संवेदना होनी चाहिए ताकि यह पता चले कि हम अपने शोध के प्रति कितने जागरूक हैं। शोध करने के लिए यह निश्चय करना आवश्यक है कि शोध हेतु, कौन-कौन से क्षेत्र अथवा विषय अछूते रह गए हैं। इन बातों को हम समीक्षा करके समझ सकते हैं। समीक्षा भी अपने आप में एक महत्त्वपूर्ण शोध-कार्य है। प्रोफेसर मिश्र ने आगे कहा कि जिज्ञासा और उत्सुकता के कारण ही शोध का आरम्भ होता है क्योंकि इन्हीं दो तत्त्वों से शोध का जीवन जुड़ा हुआ है।

Vasant college for women: अनुसंधान में किसी विषय या मुद्दे की समझ बढ़ाने के लिए तथ्यों का संग्रह और विश्लेषण शामिल है। अनुसंधान के क्षेत्र में पिछले काम पर भी विस्तार हो सकता है। अनुसंधान परियोजनाओं का उपयोग किसी विषय पर या शिक्षा के लिए आगे के ज्ञान को विकसित करने के लिए ही किया जाता है। उपकरणों, प्रक्रियाओं या प्रयोगों की वैधता का परीक्षण करने के लिए, अनुसंधान पूर्व परियोजनाओं या परियोजना के तत्वों को समग्र रूप से दोहराया जा सकता है।

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अनुसंधान दृष्टिकोण पर निर्भर करते हैं। महामारी विज्ञान जो मानविकी और विज्ञान दोनों के बीच काफी भिन्नता होता है। अनुसंधान के कई रूप हैं: वैज्ञानिक, मानविकी, कलात्मक, आर्थिक, सामाजिक, व्यापार, विपणन, चिकित्सक अनुसंधान, जिंदगी, प्रौद्योगिकीय, आदि। अनुसंधान प्रथाओं को वैज्ञानिक अध्ययन के रूप में जाना जाता है। अनुसंधान अध्ययन या संबंधित अध्ययनों के सेट में डेटा संग्रह या शोध के एक से अधिक तरीकों का उपयोग शामिल है। मिश्रित तरीके के अनुसंधान और अधिक विशिष्ट हैं।

Vasant college for women: शोध अध्ययन या संबंधित अध्ययनों के सेट में गुणात्मक और मात्रात्मक डेटा, विधियों या प्रतिमानों का मिश्रण शामिल हो। यदि अनुसंधान में इस बात पर जोर दिया जाए कि एकाधिक डेटा स्रोतों, विधियों, अनुसंधान विधियों, दृष्टिकोण आदि का उपयोग हो तो इसके माध्यम से अनुसंधान में सुधार किया जा सकता है। गुणात्मक अनुसंधान सामाजिक रूप से निर्मित वास्तविकताओं और जीवित अनुभवों की विशेषता है। अंत में उन्होंने कहा, हमें अपने शोध के लिए उन समस्याओं का चयन करना चाहिए जो उपयोगी हो, प्रासंगिक हो। जो समाज के विकास में सहायक हो, समाज को एक नयी दृष्टि दे सकें और अपने शोध से समाज को प्रेरित करें।

शोध समिति की समन्वयक हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. शशिकला त्रिपाठी ने विद्वान वक्ता का स्वागत करते हुए कहा कि आज का दौर नाना प्रकार की प्रतिस्पर्धात्मक गतिविधियों से संचालित है। हम लोकल और ग्लोबल एक साथ हैं। कभी हमें लगता है कि हमें स्थानीय होना चाहिए तो कभी लगता है, यदि हम वैश्विक दृष्टि से सम्पन्न नहीं होंगे तो हमारी स्थिति, अस्मिता, पहचान और भविष्य गरिमापूर्ण नहीं रह पाएगा।

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इसलिये जरूरी है कि जो शोधार्थी बनें, उनके भीतर ऐसी नई दृष्टि हो, नई ऊर्जा हो कि वे जिस भी विषय में शोध करें उसमें वे नई दृष्टि दे सकें और उनका अनुसंधान नया हो। ऐसा ही अनुसंधान अथवा शोध समाज या देश के लिए बहुमुल्य होगा। कोई भी युवा किसी भी देश का भविष्य होता है और भविष्य की तस्वीर बनाने में उसका महत्वपूर्ण योगदान होता है।

अतः आवश्यक कि जो शोधार्थी हैं या होना चाहते हैं उनके भीतर अनुसंधान के लिए बेचैनी हो और वे कुछ ऐसे विषय का का चयन करें जिससे उनकी दृष्टि और सोच का वहाँ अंकुरण और पल्लवन हो सके। आज का जो दौर अन्तर्विषयी अनुसंधान का दौर है। किसी एक विषय से जुड़े हैं तो उसका मतलब यह नहीं है कि पूर्णता हो गयी। पूर्णता तब होती है जब हम तमाम विषयों से जुड़ते हुए अपने शोध को नया रंग-रूप देते हैं ।

आज इकहरी मानसिकता व दृष्टि के साथ नहीं रहा जा सकता। विभागाध्यक्ष शिक्षा, डॉ. सुजाता साहा ने कुशल संचालन किया और धन्यवाद ज्ञापन किया मनोविज्ञान विभाग की अध्यक्ष डॉ. सीमा श्रीवास्तव ने। इस अवसर पर अधिसंख्य प्राध्यापक गण, शोध समिति के सदस्य तथा विभिन्न राज्यों के शोधार्थी एवं विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

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