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Srinivas deshpande library in varanasi: आईआईटी बीएचयू के मुख्य पुस्तकालय का नाम बदला, अब इस नाम से जाना जाएगा

  • 1948 के पूर्व छात्र श्रीनिवास देशपांडे के सम्मान में बदला गया नाम

Srinivas deshpande library in varanasi: आईआईटी (बीएचयू) के मुख्य पुस्तकालय का नाम अब ‘श्रीनिवास देशपांडे पुस्तकालय’

रिपोर्टः डॉ राम शंकर सिंह

वाराणसी, 29 जूनः Srinivas deshpande library in varanasi: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (बीएचयू) की मुख्य लाइब्रेरी अब ‘श्रीनिवास देशपांडे पुस्तकालय’ के नाम से जानी जाएगी। आईआईटी (बीएचयू), वाराणसी के मुख्य पुस्तकालय का नामकरण समारोह संस्थान में ऑनलाइन माध्यम से आयोजित किया गया। इस समारोह में अमेरिका और भारत के अतिथि वीडियो क्रांफेंसिंग के माध्यम से शामिल हुए।

संस्थान के पुस्तकालय का नया नामकरण बोस्टन स्थित प्रसिद्ध उद्यमी और दानी देश देशपांडे और उनकी पत्नी जयश्री देशपांडे द्वारा आईआईटी (बीएचयू) फाउंडेशन को 1 मिलियन अमरीकी डॉलर (रुपये 7.5 करोड़) के उदार दान के माध्यम से संभव हुआ है, जो श्रीनिवास देशपांडे के पुत्र और पुत्रवधू हैं। देश देशपांडे औद्योगिक रसायन विज्ञान में 1948 में स्नातक हैं जो पूर्व में कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी बीएचयू था और अब आईआईटी (बीएचयू), वाराणसी हैं।

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इस अवसर पर संस्थान के निदेशक प्रोफेसर प्रमोद कुमार जैन ने बताया कि संस्थान के लिए यह अमूल्य योगदान हमें विभिन्न क्षमताओं में आगे बढ़ने में मदद करेगा। हम इस योगदान के माध्यम से आगे बढ़ने और छात्रों के विकास के लिए एक गुणवत्तापूर्ण वातावरण सुनिश्चित करेंगे।

अपने संबोधन में श्रीनिवास देशपांडे ने कहा कि संस्थान से स्नातक हुए 74 वर्ष से अधिक समय हो चुके हैं, यह शिक्षा ही थी जिसने उन्हें सात दशकों से अधिक समय तक सार्वजनिक और निजी सेवा के लिए तैयार किया। उन्होंने ऐसे समय में संस्थान में अपने समय को याद किया जब भारत ने अंग्रेजों से स्वतंत्रता प्राप्त की थी। उन्होंने मेस केे भोजन को भी याद किया और आशा व्यक्त की कि वर्तमान छात्रों को उतना ही अच्छा भोजन मिल रहा है जितना कि उन्हें तब मिला करता था।

देश देशपांडे और जयश्री देशपांडे ने कहा कि उन्होंने इस उम्मीद के साथ दान दिया कि वर्तमान और भविष्य में आने वाले छात्र समाज में सकारात्मक योगदान देने के साथ-साथ अपने जीवन में महान ऊंचाइयों तक पहुंच सकेंगे।

समारोह में बोलते हुए काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.सुधीर जैन ने एक छोटी सी ज्ञात तथ्य साझा किया कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय को इसके संस्थापक महामना पंडित मदन मोहन मालवीय द्वारा 51 लाख रुपये दिया गया, जो लगभग 100 साल पहले दिया गया था। उन्होंने स्वीकार किया कि पूर्व छात्रों के माध्यम से इतिहास आज भी जिंदा हैं।

नामकरण समारोह संस्थान में मौजूद कई गणमान्य व्यक्तियों के साथ लाइव आयोजित किया गया था। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.सुधीर जैन, प्रो.राजीव श्रीवास्तव, अन्य सभी डीन, प्रोफेसर, प्रभारी पुस्तकालय और आईआईटी (बीएचयू) के उप पुस्तकालयाध्यक्ष जूम के माध्यम से समारोह में शामिल हुए। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि श्रीनिवास देशपांडे और उनके बेटे सहित उनके परिवार के कई सदस्य उपस्थित थे। उपस्थित लोगों द्वारा पुस्तकालय का वर्चुअल अवलोकन किया गया।

इस नामकरण समारोह में विशेष रूप से शामिल नारायण मूर्ति (इन्फोसिस के संस्थापक) और सुधा मूर्ति साथ ही जय चौधरी (जेस्केलर के संस्थापक/अध्यक्ष और एक प्रतिष्ठित पूर्व छात्र) ने भी अपने विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर श्रीनिवास देशपांडे को सम्मानित भी किया गया।

आईआईटी (बीएचयू) संघ के अध्यक्ष अरुण त्रिपाठी और फाउंडेशन के बोर्ड सदस्य रमेश श्रीनिवासन (अजिलिस के अध्यक्ष/सीईओ) ने दान देने के लिए देशपांडे परिवार को धन्यवाद दिया। संचालन प्रो.राजीव श्रीवास्तव और धन्यवाद ज्ञापन बी.टेक अंतिम वर्ष के छात्र ऐश्वर्य सक्सेना ने दिया।

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