National Seminar at VCW: वसंता कॉलेज फॉर वोमेन में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी शुरू
National Seminar at VCW: नई शिक्षा नीति का उद्देश्य अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देना हैः प्रोफेसर कांत मूर्ति
रिपोर्टः डॉ राम शंकर सिंह
वाराणसी, 04 नवंबरः National Seminar at VCW: भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद द्वारा प्रायोजित तथा शिक्षा विभाग एवं आई.क्यू.ए.सी., वसंत महिला महाविद्यालय (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के विशेषाधिकार के अंतर्गत) A+ ग्रेड के साथ NAAC द्वारा मान्यता प्राप्त, के.एफ.आई., राजघाट, वाराणसी द्वारा “नई शिक्षा नीति 2020: 21वीं सदी की परिवर्तनकारी शिक्षण पद्धति” विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन पूर्व कुलपति प्रोफेसर कांत मूर्ति ने किया।
उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि ने दीप प्रज्वलन किया। संगीत विभाग के डॉ. संजय वर्मा तथा डॉ. हनुमान प्रसाद गुप्ता द्वारा कुलगीत गायन प्रस्तुत किया गया। महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो. डॉ. अलका सिंह ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि, नई शिक्षा नीति 2020 में कई सकारात्मक उद्देश्य शामिल किए गए। इसका सबसे बड़ा उद्देश्य शिक्षक प्रशिक्षण को मजबूत करना, मौजूदा परीक्षा प्रणाली में सुधार और शिक्षा के ढांचे में सुधार जैसे आवश्यक क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना है।
विषय स्थापना करते हुए संगोष्ठी संयोजक प्रो. डॉ. मीनाक्षी बिस्वाल ने कहा कि नई शिक्षा नीति का उद्देश्य सभी योग्य छात्रों को उच्च शिक्षा प्रदान करना है। जिसका लक्ष्य 2025 तक पूर्व-प्राथमिक शिक्षा (3-6 वर्ष की आयु सीमा) को सार्वभौमिक बनाना है।
महत्वपूर्ण बात यह है कि एनईपी: 2020 में 21वीं सदी के महत्वपूर्ण परिवर्तनकारी शिक्षण पद्धति कौशल के विकास पर बल दिया गया है जो उच्चतर शिक्षा के लिए अच्छा है। यह 21वीं सदी के उच्च शिक्षण में एक सकारात्मक परिवर्तन है। यह 10+2 संरचना से 5+3+3+4 सिस्टम में परिवर्तन का प्रतीक है।
संगोष्ठी के मुख्य अतिथि प्रो. श्रीकांत मूर्ति (कुलपति, एस.एस.एस.यू.एच.ई., कलबुर्गी, कर्नाटक) ने अपने वक्तव्य में कहा कि नई शिक्षा नीति: 2020 एक अंतःविषयक महाविद्यालयी शिक्षा प्रदान करती है जिसमें लचीली अध्ययन योजनाएं शामिल हैं। नई नीति का एक प्रमुख लक्ष्य अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देना है।
वास्तव में, एनईपी का लक्ष्य 2035 तक उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात 50% तक है। इस नीति का लक्ष्य 100% युवाओं और वयस्कों के लक्ष्य को हासिल करना है। नई शिक्षा नीति स्पष्ट रूप से सही दिशा में एक बहुत आवश्यक कदम है। यदि सही ढंग से इस नीति को लागू किया जाए, तो यह भारतीय शिक्षा क्षेत्र में व्यापक बदलाव की शुरुआत कर सकता है।
हमारा जोर बच्चे के सर्वांगीण विकास पर है। इस बात का पूरा ध्यान रखा गया है कि जीवन कौशल आधारित पाठ्यक्रम का उपयोग करके स्वतंत्र मस्तिष्क का पोषण किया जाए जो यह सुनिश्चित करता है कि 21वीं सदी के करीब के छात्रों के लिए कौशल की आवश्यकता है। महत्वपूर्ण बात यह है कि हम यह सुनिश्चित करते हैं कि छात्र सीखने का आनंद लें और जीवन भर के लिए सीखने का आनंद लें।
संगोष्ठी की विशिष्ट अतिथि प्रो. लता पिल्लई (पूर्व NAAC Advisor) ने कहा कि, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के मुख्यतः 4 भाग हैं और इसके कार्यान्वयन की पूर्णता का लक्ष्य वर्ष 2030 है ताकि वर्ष 2015 में अपनाए गए सतत विकास एजेंडा के अनुसार विश्व में वर्ष 2030 तक सभी के लिए सार्वभौमिक, गुणवत्तायुक्त सतत शिक्षा और जीवन पर्यंत शिक्षा के अवसरों को बढ़ावा दिए जाने का लक्ष्य प्राप्त किया जा सके. ये चार भाग हैं- स्कूल शिक्षा, उच्चतर शिक्षा, अन्य केंद्रीय विचारणीय मुद्दे और क्रियान्वयन की रणनीति।
स्कूल शिक्षा में मुख्य परिवर्तन ये किया जा रहा है जिसमें वर्तमान की 10+2 वाली स्कूल व्यवस्था (जो कि 6 वर्ष की आयु से आरंभ होती थी) को 3 वर्ष से 18 वर्ष की आयु के बच्चों के लिये नए शैक्षणिक और पाठ्यक्रम के आधार पर 5+3+3+4 की एक नई व्यवस्था का पुनर्गठन किया जाएगा।
3 से 5 वर्ष तक फाउंडेशनल, अगले 3 वर्ष प्रीपरेटरी, अगले 3 वर्ष मिडिल और अंतिम चार वर्ष सेकंडरी ढांचे को दिए जाएंगे। मुख्य वक्ता प्रो. अंजलि वाजपेई (अध्यक्ष एवं संकाय प्रमुख, शिक्षा संकाय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी) ने नई शिक्षा नीति: 2020 के मुख्य उद्देश्य की सराहना की।
उन्होंने कहा कि युवाओं के लिए उच्चतर शिक्षा का मुख्य उद्देश्य युवा को समाज और देश की समस्याओं के लिए प्रबुद्ध, जागरूक, जानकार और सक्षम बनाना है ताकि युवा नागरिकों का उत्थान कर सकें और समस्याओं का सशक्त समाधान ढूंढ कर और उन समाधानों को कार्यान्वित करके एक प्रगतिशील, सुसंस्कृत, उत्पादक और समृद्ध राष्ट्र का प्रतिनिधित्व कर सकें।
उच्चतर शिक्षा के सन्दर्भ में विभिन्न आयामों की ओर ये नई शिक्षा अग्रसर होती है जिसमें मुख्य हैं- गुणवत्तापूर्ण विश्वविद्यालय और महाविद्यालय, संस्थागत पुनर्गठन और समेकन, समग्र और बहु- विषयक शिक्षा, सीखने हेतु सर्वोत्तम वातावरण और छात्रों को सहयोग, प्रेरणादायक, सक्रिय और सक्षम संकाय, शिक्षा में समता का समावेश, भविष्य के अध्यापकों का निर्माण, व्यावसायिक शिक्षा का नवीन रूप, गुणवत्तायुक्त अकादमिक अनुसंधान, उच्चतर शिक्षा की नियामक प्रणाली में आमूलचूल परिवर्तन, उच्चतर शिक्षा संस्थानों में प्रभावी प्रशासन और नेतृत्व।
वर्तमान शिक्षा प्रणाली और आजीविका और धनार्जन की सक्षमता का एक मापदंड अंग्रेज़ी भाषा भी है जो कि देश के अधिकांशतः युवा वर्ग के आत्मविश्वास की कमर तोड़ कर रख देता है और किसी न किसी पटल पर उनको कमतर साबित कर देता है, चाहे वो युवा कितना भी ज्ञान से भरा हुआ क्यों न हो। नई शिक्षा प्रणाली स्थानीय /भारतीय भाषाओं में शिक्षा या कार्यक्रमों का माध्यम प्रदान करती है।
उद्घाटन सत्र का संचालन डॉ. प्रीति सिंह (एसोसिएट प्रोफेसर, राजनीतिक विज्ञान विभाग, वसंत महिला महाविद्यालय) तथा धन्यवाद ज्ञापन प्रो. डॉ. अर्चना तिवारी (दर्शनशास्त्र विभाग, वसंत महिला महाविद्यालय) ने दिया। उद्घाटन सत्र के पश्चात् Planery Session के resource person प्रो. पीयूष पहाड़े (एसोसिएट प्रोफेसर, P.G.K. Mandal’s Haribhai V. Desai college of Arts, science and commerce Pune), प्रो. शिरीष पाल सिंह (एन.सी.ई.आर.टी., नई दिल्ली) एवं डॉ. नीति दत्ता (गुरु गोविन्द सिंह, इन्द्रप्रस्थ विश्वविद्यालय, दिल्ली) थे। इस सत्र का संचालन डॉ. योगिता बेरी (अर्थशास्त्र विभाग) ने किया।
प्रथम दिवस संगोष्ठी में चार समानांतर तकनीकी सत्रों का आयोजन भी किया गया। जिसके प्रमुख विषय थे-21 वीं सदी में परिवर्तनकारी शिक्षण पद्धति, डिजिटल लर्निंग और 21वीं सदी का कौशल, सामाजिक एवं आलोचनात्मक शिक्षाशास्त्र, मूल्यपरक शिक्षा. संगोष्ठी के उपरांत सांयकाल महाविद्यालय की छात्राओं द्वारा आकर्षक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया।
इस अवसर पर प्रशासक, शिक्षाविद, विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और स्कूलों के शिक्षण संकाय, अनुसंधान विद्वान, पीजी छात्र, सामाजिक कार्यकर्ता और देश के अन्य उच्च शिक्षाविद् उपस्थित थे। इसके अतिरिक्त एन.सी.ई.आर.टी. एवं नीपा के सदस्य भी संगोष्ठी में विशेष रूप से उपस्थित थे।
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