Dil Ka Vyapar: दिल की बात भी व्यापार में आ गई…
Dil Ka Vyapar: !!दिल का व्यापार!!
Dil Ka Vyapar: कल बिछड़े आज अखबार में आ गई
आपस की बात थी बाजार में आ गई
इश्क में एक तोहफा क्या मांग लिया
ये दिल की बात भी व्यापार में आ गई
हिज्र का दिन भी था हिज़्र की रात भी
मिलने की घड़ी भी इंतजार में आ गई
फकत दो बातों की उलझने ही तो थीं
मुझे छोड़कर के वो सरकार में आ गई
पलट कर जवाब देना आता था मुझे
परवरिश थी घर की संस्कार में आ गई
सोचा था ‘ओजस’ नहीं देखेंगे उसको
और नजर कल फिर बाजार में आ गई
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