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Hindi Diwas: काशी हिंदू विश्वविद्यालय में हिन्दी दिवस पर “हिन्दी में विज्ञान प्रसार” का हुआ आयोजन

प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में हिंदी दिवस (Hindi Diwas) समारोह

गंगा घाटी में मानव सभ्यताओं का उद्भव एवं विकास का वैज्ञानिक विवेचन

रिपोर्ट: डॉ राम शंकर सिंह
वाराणसी, 12 सितम्बर
: Hindi Diwas: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में हिन्दी दिवस पर विविध कार्यक्रम हुए. विशिष्ट आयोजन बी एच यू में हुआ. काशी हिंदू विश्वविद्यालय, विज्ञान संस्थान के महामना सभागार में “हिन्दी दिवस-2023” के अवसर पर, हिन्दी प्रकाशन समिति द्वारा “हिन्दी में विज्ञान प्रसार” विषयक संगोष्ठी का आयोजन किया गया है.

संगोष्ठी में मुख्य अतिथि वरिष्ठ पुरातत्वविद प्रोफेसर राकेश तिवारी, लखनऊ ने “गंगा घाटी में मानव सभ्यताओं का उद्भव एवं विकास का वैज्ञानिक विवेचन: प्रारम्भ से 700 ईस्वी पूर्व तक” विषय पर रोचक व्याख्यान प्रस्तुत किया. आपने कहा कि संपूर्ण भारतवर्ष में मानव का विस्तार पिछले एक लाख वर्षों से अनवरत जारी रहा है.

विशेष रूप से गंगा घाटी में उनके द्वारा किए गए शोधों में यह साफ है कि यहाँ मानव पिछले 10,000 वर्षों से रह रहा है. उसने धान की खेती पिछले 9000 वर्षों से शुरू की जिसका सीधा प्रमाण लहुरादेव में मिलता है। साथ ही लौह हथियार जिनके बारे में बोला जाता है कि यह 2700 वर्ष पहले गंगा घाटी में आर्यों द्वारा लाई गई है, उसका प्रमाण गंगा घाटी से कम से कम 3000 वर्षों से प्रारंभ हो गया था।

इस अवसर पर भौतिकी विभाग, विज्ञान संस्थान के प्रोफेसर अमित पाठक ने “चन्द्रमा से सूर्य तक” विषयक व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए कहा कि भारत के चंद्र और आदित्य मिशन ने यह सिद्ध कर दिया कि हमारी तकनीक दक्षता संपूर्ण विश्व के लिए लाभकारी है, और सन 2023 के चंद्रायान और आदित्य मिशन से हम ब्रह्मांड के बारे में नई-नई जानकारियाँ इकट्ठा कर पाएंगे। उन्होंने रूस के चन्द्र मिशन के फेल होने की खामियों के बारे में भी बताया।

अध्यक्षता करते हुए विज्ञान संस्थान के अध्यक्ष प्रोफेसर सुख महेंद्र सिंह ने कहा कि हिन्दी भारत के बड़े भूभाग में बोली समझी जाती है और विज्ञान को जन जन तक पहुंचाने के लिए हमें अपने नवीन वैज्ञानिक शोधों को हिंदी में संचारित करना चाहिए। मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि विज्ञान संस्थान की हिंदी प्रशासन समिति इस दिशा में अलग-अलग कार्य कर रही है। प्रारम्भ में मुख्य अतिथि, विशेषज्ञ वक्ता एवं विद्वतजनों का स्वागत एवं विषय वस्तु का स्थापन करते हुए समिति के समन्वयक प्रो. जगत कुमार राय ने हिन्दी के उत्थान के लिए वैज्ञानिकों का आह्वान करते हुए कहा कि , हमें अपनी भाषा का इस्तेमाल अपने अपने दैनिक जीवन और अपने शोधों में करना चाहिए। इससे हमारा सामाजिक और बौद्धिक विकास होगा।

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समिति की स्थापना, इतिहास और क्रियाकलापों को प्रस्तुत करते हुए ख्याति प्राप्त वैज्ञानिक डा. दया शंकर त्रिपाठी ने बताया कि, इस समिति की स्थापना, महामना मालवीय जी ने सन १९३० में की थी और आज यह लगभग ९३ वर्षों का हो चुका है। यहाँ से अब तक लगभग ८२ मौलिक और अनुदित पुस्तकें प्रकाशित हो चुकीं हैं।

कार्यक्रम का संचालन भौतिकी विभाग के डॉ. चन्द्रशेखरपति त्रिपाठी तथा धन्यवाद ज्ञापन जन्तु विज्ञान विभाग के प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे ने किया। मुख्य अतिथि का परिचय प्रो. ज्ञानेश्वर एवं विशिष्ट वक्ता का परिचय युवा वैज्ञानिक डॉ. ऋचा आर्या ने प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का आरम्भ महामना की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं कुलगीत और अतिथिओं को पुष्पगुच्छ प्रदान करने के साथ हुआ। इस अवसर पर प्रो. एस. बी. अग्रवाल, प्रो. वैभव श्रीवास्तव, प्रो. आर. पी सिन्हा, प्रो. रंजन सिंह, प्रो. मधु तपाड़िया, प्रो. डी.पी.शर्मा डॉ. गौरव पाण्डेय आदि उपस्थित रहे.

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