Aditya-L1 Mission: भारत का पहला सौर अंतरिक्ष मिशन…

  • इसरो सितम्बर में लॉन्च करेगा आदित्य एल-1 सौर अंतरिक्ष मिशन

Aditya-L1 Mission: आईआईटी (बीएचयू) निभा रहा महत्वपूर्ण भूमिका

रिपोर्टः डॉ राम शंकर सिंह

वाराणसी, 25 अगस्तः Aditya-L1 Mission: चंद्रयान-3 की सफलता के बाद सौर अंतरिक्ष मिशन की तैयारी युद्ध स्तर पर चल रही है। आदित्य एल-1 सौर अंतरिक्ष मिशन में इसरो के साथ आईआईटी, बीएचयू भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। सितंबर में इसे लॉन्च करने हेतु इसरो के अंतरिक्ष वैज्ञानिक सतत कार्यशील हैं।

इस संबंध में सौर मिशन से जुड़े आईआईटी, बीएचयू के प्रोफेसर अभिषेक कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि, सूर्य हमारा निकटतम और एकमात्र स्थानिक रूप से परिक्रमा करने वाला तारा है जिसका अधिक विस्तार से अध्ययन किया गया है। जैसा कि हम जानते हैं कि यह पृथ्वी पर जीवन के लिए जिम्मेदार है। विकिरण के अलावा, आवेशित कणों की धारा, सौर हवा, लगातार सूर्य से निकलती है और पृथ्वी के मैग्नेटोस्फीयर के साथ संपर्क करती है।

बड़े पैमाने पर चुंबकीय विस्फोट जैसे कि कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई) सौर वायुमंडल में उत्पन्न होते हैं और पृथ्वी की ओर निर्देशित होने पर मैग्नेटोस्फीयर को बाधित करते हैं. परिणाम स्वरुप खतरनाक अंतरिक्ष मौसम प्रभाव पैदा करते हैं। हेलियोस्फीयर के माध्यम से सौर हवा और सीएमई की भौतिकी अभी तक पूरी तरह से समझ में नहीं आई है। इसलिए, वे शोध का एक अत्याधुनिक और अग्रणी विषय हैं।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय), भौतिकी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अभिषेक कुमार श्रीवास्तव ने आदित्य-एल1 के अंतरिक्ष मौसम प्रयोगों को संस्तुति देने के लिए इसरो की राष्ट्रीय स्तर की अध्ययन समिति ’आदित्य-एल1 अंतरिक्ष मौसम निगरानी और भविष्यवाणी योजना (एएसडब्ल्यूएमपी)’ में सदस्य के रूप में कार्य किया। उन्होंने वह आदित्य-एल1 के पराबैंगनी दूरबीन की विज्ञान टीम (एसयूआईटी विज्ञान प्रबंधन पैनल) के सदस्य भी हैं।

वह सौर वायुमंडल की भौतिकी को समझने वाले सक्रिय शोधकर्ता हैं, और आदित्य-एल1 विज्ञान से संबंधित वैज्ञानिक टीम की गतिविधि में शामिल हैं। सौर भौतिक विज्ञानी डॉ. बी.बी. करक भी आईआईटी (बीएचयू) से हैं जो सूर्य के वायुमंडल की आंतरिक संरचना और उसके चुंबकत्व का अध्ययन करते हैं।

डॉ अभिषेक श्रीवास्तव ने बताया कि, आदित्य एल-1 के प्राथमिक विज्ञान लक्ष्यों में से एक सीएमई का निरीक्षण करना और बहु-तरंगदैर्ध्य पर सौर हवा की उत्पत्ति की जांच करना है। आदित्य एल-1 पर रिमोट-सेंसिंग और इन-सीटू दोनों उपकरणों के साथ, हम सौर हवा की उत्पत्ति, सुपरसोनिक गति में इसके त्वरण, सीएमई के विकास और अंतरिक्ष मौसम पर उनके प्रभाव का अध्ययन करने में सक्षम होंगे।

उन्होंने बताया कि भारत सूर्य से निकलने वाले प्लाज्मा गतिशीलता, विकिरण और ऊर्जावान कणों का अध्ययन करने के लिए अपना पहला सौर अंतरिक्ष मिशन आदित्य-एल1 भेजने जा रहा है। इसरो सितंबर 2023 के पहले सप्ताह में एल-1 बिंदु पर आदित्य-एल1 लॉन्च करेगा, जो सूर्य-पृथ्वी रेखा पर 15 लाख किलोमीटर दूर है जहां सूर्य और पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण संतुलित है। यह बिंदु हमें लगातार 24 घंटे सौर वातावरण की निगरानी करने में सुविधा प्रदान करता है।

आदित्य-एल 1 बिंदु पर दूसरा सौर अंतरिक्ष है, जबकि सौर और हेलिओस्फेरिक वेधशाला (एसओएचओ) यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) द्वारा एल-1 पर लॉन्च किया गया पहला था। आदित्य-1 एक स्वदेशी अंतरिक्ष मिशन है जिसमें 07 उपकरण भारतीय सौर भौतिकी समुदाय के भीतर विकसित किए गए हैं।

दो उपकरण (1) सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (एसयूआईटी) और (2) विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (वीईएलसी) सौर वातावरण में प्लाज्मा की गतिशीलता और विस्फोटों का निरीक्षण करेंगे, जबकि 02 अन्य उपकरण एसओएलईएक्स और एचईएलआईओएस का उद्देश्य एक्स-रे कैप्चर करना है। सूर्य के धधकते क्षेत्रों से उत्पन्न विकिरण। बाकी 03 उपकरण (एएसपीईएक्स, पीएपीए और मैग्नेटोमीटर) सूर्य से पृथ्वी पर आने वाले ऊर्जावान कणों और चुंबकीय क्षेत्रों का पता लगाने के लिए इन-सीटू अवलोकन उपकरण हैं।

संस्थान के निदेशक प्रोफेसर प्रमोद कुमार जैन ने कहा कि आदित्य-एल1 पहला भारतीय अंतरिक्ष मिशन है जिसे इस साल सूर्य की लगातार निगरानी के लिए लैग्रेंज वन (एल-1) बिंदु पर लॉन्च किया जाएगा। इस मिशन में संस्थान ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस मिशन के लांच होने से देश ही नहीं, बल्कि इस क्षेत्र में अध्ययन कर रहे शिक्षाविदों एवं शोधार्थियों को काफी मदद मिलेगी।

वहीं, संस्थान के इस विषय के छात्रों को सौर अनुसंधान के नए आयाम से जुड़ने का अवसर भी मिलेगा। संस्थान के अधिष्ठाता, अनुंसधान एवं विकास के प्रोफेसर विकाश कुमार दूबे ने भौतिकी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ अभिषेक कुमार श्रीवास्तव के योगदान की सराहना की। उन्होंने यह भी कहा कि संस्थान इसरो के साथ मिलकर आगामी कई योजनाओं में अनुसंधान हेतु महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

क्या आपने यह पढ़ा…. Mumbai Division Mega Block: मुंबई मंडल 27 को अपने उपनगरीय खंडों पर परिचालित करेगा मेगा ब्लॉक

Hindi banner 02
देश की आवाज की खबरें फेसबुक पर पाने के लिए फेसबुक पेज को लाइक करें