Adabi kavya gosthi

Adabi kavya gosthi: अदब गोशा की बड़वानी इकाई की ओर से राजपुर में एक साहित्यिक काव्य गोष्ठी आयोजित की गई

Adabi kavya gosthi: काव्य गोष्ठी में शहरों के शायरों और कवियों ने अपनी खूबसूरत रचनाएं प्रस्तुत की

राजपुर, 13 जूनः Adabi kavya gosthi: जिला अदब गोशा की बड़वानी इकाई की ओर से राजपुर में एक साहित्यिक काव्य गोष्ठी आयोजित की गई। जिसमें शहर के शायरों और कवियों ने अपनी खूबसूरत रचनाएं प्रस्तुत की। संचालन नौजवान शायर वाजिद हुसैन ”साहिल” ने अपने खुसूसी अंदाज में किया। काव्य गोष्ठी का आरंभ फिरोज खान (रज्जू) ने अपने खूबसूरत तरन्नुम से नाते पाक पढ़कर किया। वाहिद कुरैशी ”वाहिद” ने अपनी रचना ”बुलबुला हूं मैं जैसे पानी का, खुद ही बनता हूं टूट जाता हूं”। सुनाकर खूब वाह वाह लूटी।

Adabi kavya gosthi: कवि डॉ अपूर्व शुक्ला ने अपनी रचना में कहा, तपते सहरा ने जिसको पाल है, वो कभी धूप से डरा ही नहीं”। सुनाकर महफिल में रंग जमा दिया। युवा शायर रिजवान अली ”रिजवान” ने गजल सुनाते हुए, इंसान की फितरत इन शब्दों में बयान की ”सब यहां आईना दिखाते हैं, आईना कोई देखता ही नहीं” और गोष्टी को जैसे नई ऊंचाईयों पर पहुंचा दिया।

Adabi kavya gosthi: नौजवान शायर वाजिद हुसैन ”साहिल” ने अपनी गजल में इश्क में दर्द की शिद्दत को कुछ यूं बयान किया की ”बिना जख्म की ये चोटें बड़ी बे लुत्फ है ”साहिल”, कमां हाथों में ले और दिल की मेरे तीर पहना दो”। सुनकर माहौल को रूमानी कर दिया। नौजवान शायर फैजान शैख ”कैस” ने अपने अशआर सुनाते हुए कहा कि, ”मुझपे गुजरी तो ऐ शहीदे वफा, आज तुम याद बेहिसाब आए”। सुनकर खूब दाद बटोरी।

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अंत में इस बात पर भी विमर्श हुआ कि, किस तरह नए रचनाकारों को आगे लाकर उनका उत्साह बढ़ाया जाए, उन्हें किस तरह गाइड किया जाए, उन्हें शायरी के नियमों से अवगत किया जाए और समय-समय पर साहित्यिक गोष्ठियों का आयोजन होता रहें। ताकि आम लोगों की भी अदब और साहित्य में रूची बढ़े। फिरोज खान (रज्जू) ने सभी श्रोताओं का आभार व्यक्त किया।

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