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something is burning inside me: मेरे भीतर कुछ तो जल रहा है कही…

मेरे भीतर कुछ तो जल रहा है कही
कोई लावा है जो पिघल रहा है कही।

सपनों की अर्थियां जल चुकी लेकिन
इस राख में कुछ सुलग रहा है कही।

फिर पीछे देखकर मायूस होना चाहता हूँ
कुछ तो है जो आज बदल रहा है कही।

आँख मजबूर है रो भी नही पाती है
जाने क्या क्या दिल में चल रहा है कही।

चलो फिर वीरान बियाबान को लौट चले
वीरान शहर भी जंगल में ढल रहा है कही।

डॉ दिलीप बच्चानी
पाली मारवाड़, राजस्थान।

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