मिली न मुस्कान हमे सौगात की ! कद्र उनको नही मेरे जज्बात की !
मिली न मुस्कान हमे सौगात की !
कद्र उनको नही मेरे जज्बात की !
हम उनके ख्यालों में खोए रहे !
गुज़रती रही रात नगमात की !
सरकता रहा वक़्त पल-पल यहाँ !
निगाहों ने, बिरहन के बरसात की !
सजाए थे सपने, तेरे साथ जब !
चलो हम करें, बात उस रात की !
मिला आँख से आँख पाए नही !
मुहब्बत की जब उसने बरसात की !
कहेंगे सुनेंगे नही आज हम !
मुहब्बत कहानी है बेकार की !
मुहब्बत जो तुमसे हुई अजनबी !
उडा दीं हैं नींदें दिन-ओ-रात की !
~~~~उपासना “शिवम”
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