Mai rahu na rahu: मैं रहूं ना रहूं तुम मुझे याद रखना…..!
Mai rahu na rahu: हुआ ना पूरा फिर आंखों का इंतजार, कहां गई मोहब्बत कहां खोया ऐतवार
Mai rahu na rahu: मैं रहूं ना रहूं तुम मुझे याद रखना…..!
याद रखना मोहब्बत के गुजरे जमाने
हसीं था शमां और दो शख्स थे दीवाने
अब मंजिल कहां और कहां हैं ठिकाने
अब कैसी मोहब्बत और कैसे फसाने
बिछड़ कर के दोनो हुए फिर अनजाने
याद आयेंगे अब वो सब किससे पुराने
मेरी तस्वीर को तुम मेरे बाद रखना
Mai rahu na rahu: मैं रहूं ना रहूं तुम मुझे याद रखना…..!
हुआ ना पूरा फिर आंखों का इंतजार
कहां गई मोहब्बत कहां खोया ऐतवार
आशिकी पर मर मिटने को थे तैयार
फिर क्या हुआ जो उजड़ गया संसार
क्या कशिश थी बातों में किया बेकरार
उल्फत की बातें नशेमन की थी बाहर
मेरे हक में लबों पर ना फरियाद रखना
मैं रहूं ना रहूं तुम मुझे याद रखना…..!
जो कभी कहते थे बिछड़े ना जी पाएंगे
तुमसे बिछड़े अगर हम तो मर जायेंगे
तेरी सोहबत में रहकर संवर जायेंगे
तुमसे होकर जुदा हम किधर जायेंगे
सनम मोहब्बत में हद से गुजर जायेंगे
प्यार में तेरे लिए कुछ ऐसा कर जायेंगे
पर अब अपना जहां तुम आबाद रखना
मैं रहूं ना रहूं तुम मुझे याद रखना……!
सफर की कहानी उम्मीदों से घिरी थी
किसको है खबर अच्छी थी या बुरी थी
रुख हवा सा बदलना फितरत तेरी थी
दरख़्त सा डटे रहना ये आदत मेरी थी
मैं गांव का छोरा वो लड़की शहरी थी
पर ओजस की मोहब्बत बहुत गहरी थी
अब खुशी ना तुम अपनी बर्बाद रखना
मैं रहूं ना रहूं तुम मुझे याद रखना ….!
**********
यह भी पढ़ें:–बचपन की यादें..(childhood memories)
*हमें पूर्ण विश्वास है कि हमारे पाठक अपनी स्वरचित रचनाएँ ही इस काव्य कॉलम में प्रकाशित करने के लिए भेजते है।
अपनी रचना हमें ई-मेल करें writeus@deshkiaawaz.in