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इक दीप जलाया था तेरे इश्क़ का हमने ! झूठी है मुहब्बत तो दिखाने के लिए आ !!

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आ शीशा ए दिल तोड़ के जाने के लिए आ !
तू मुझसे ख़फ़ा है तो जमाने के लिए आ !!

इल्ज़ाम मेरे सर तेरी रुसवाई का आया !
दुनिया का भरम तू ये मिटाने के लिए आ !!

वीरान है ये बाग सजाने के लिए आ !
तू चाहतों को फिर से जगाने के लिए आ !!

होते हैं सदा प्यार मुहब्बत में गिले भी !
क्या बात हुई कुछ तो बताने के लिए आ !!

इक दीप जलाया था तेरे इश्क़ का हमने !
झूठी है मुहब्बत तो दिखाने के लिए आ !!

वीरान है बगिया यहाँ खिलती नही कलियाँ !
उजड़े हुए गुलशन को सजाने के लिए आ !!

मुझसे ख़ता हुई तो जताने के लिए आ !
आ जा न कभी लौट के जाने के लिए आ !!

~~~उपासना “शिवम”

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