Ek Akela Sainik: एक अकेला सैनिक, रात की गहराइयों में…
“एक अकेला सैनिक”(Ek Akela Sainik)
एक अकेला सैनिक, रात की गहराइयों में,
सीने में है जोश, दिल में उम्मीद की रौशनी में।
चमकते तारों से बनी उसकी राह,
देश की सेना में है वह अद्भुत शहाँशाह।
धृतराष्ट्र की सिरहानी, वीर बेमिसाल,
एक अकेला सैनिक, लहराता तिरंगा है उसका प्यार।
बदलते मौसमों में भी अड़ा है स्थिर,
सीमा पर खड़ा, वीर योद्धा बलिदान में परिपूर्ण।
उसकी छांव में सुरक्षा की चादर बिछी,
एक अकेला सैनिक, देश की रक्षा का दुलार ।।