Bharat ki gaurav gatha: आओ सुनाए तुम्हे, भारत की गौरव गाथा
भारत की गौरव गाथा:(Bharat ki gaurav gatha) रेणु तिवारी “इति”
आओ सुनाए तुम्हे, भारत की गौरव गाथा
भारत की गौरव गाथा
सोने की चिड़िया प्यारी थी,जिस पर अंग्रेजो ने डेरा डाला था
जकड़ के गुलामी की जंजीरों में,भारत मां के आंगन में कदम डाला था
शुरु हुई फिर उन वीरों की कहानी,जो आजादी के लिए व्याकुल था
शोर मचाया मंगल पाण्डे ने,चली रानी लक्ष्मीबाई की तलवार वो सन अठारह सौ सत्तावन था
कितने सपूत शहीद हुए,सबकी आंखों में एक ही सपना आज़ाद भारत था
आज़ाद,भगत,और खुदीराम हंसते हंसते चढ़ गए फांसी,ये जूनून कुछ मतवाला था
तिलक, नेहरु और गांधी के संघर्षों का ये शोर निराला था
मिली आज़ादी हमें,शामिल इसमें कई मां के लाडलो का बलिदान था
लूटा दिया सुहाग अपना, मां की आज़ादी के लिए ऐसा हौसला और कहा था
आज पहुंच गए चांद पर,मंगल का चक्कर लगा आए,ये स्वपन उन कई आंखो का था
आओ सुनाए तुम्हे भारत की गौरव गाथा
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