भारतीय गीत-संगीत की कोई सीमा नहीं यह विदेशियों को भी थिरकने पर मजबूर कर देती हैः दर्शना व्यास (Darshana Vyas)
दर्शना व्यास (Darshana Vyas) ने गीत, संगीत को ही जीवन समर्पित कर दिया है
साक्षात्कार- रामकिशोर शर्मा
अहमदाबाद, 04 मार्चः आज के इस फुर्सत विहीन व्यस्त समाज में किसे मौका मिलता है जो गीत, संगीत, रंग और रोशनी जैसे विषयों पर अपना वक्त बर्बाद करें, क्योंकि आज सुबह से शाम और देररात तक लोग रोजी, रोटी के चक्कर एवं सामाजिक ताने-बाने में फंसे रहते हैं उन्हें नवरंग, इन्द्रधनुष, वीणा के तार और शहनाई के सुरों से कोई वास्ता नहीं रहा लेकिन ऐसे समय में ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है जिन्होंने गीत, संगीत, सुर और ताल को अपनी पूरी जिंदगी समर्पित कर दी है ऐसी ही एक कलाकार हैं दर्शना व्यास
दर्शना व्यास ने पंचम आर्केस्ट्रा ग्रुप के साथ पाँच बार विदेशों में जाकर कार्यक्रमों में हिस्सा लिया एक प्रश्न के उत्तर में दर्शना व्यास ने बताया कि गीत संगीत की अपनी कोई सीमा नहीं होती यह भारतीयों को जितना आकर्षित करती है, उससे कहीं ज्यादा विदेशों में अपना असर दिखाती है जहाँ गोरे लोग भी भारतीय वाद्दयंत्रों पर थिरकने लगते हैं गरबा घूमने लगते है संगीत के जरिए भी विदेशियों को भारतीयता का परिचय हुआ है
भारतीय संगीत और पाश्चात्य संगीत संस्कृति के बारे में पूछे गये एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने (Darshana Vyas) बताया कि भारतीय गीत-संगीत और शास्त्रीय संगीत का तो कोई जवाब ही नहीं है, यह विश्व में लाजवाब है इसने विश्व में अपना मकाम हांसिल किया है
भारतीय गीत-संगीत और परम्परा को समर्पित दर्शना व्यास (Darshana Vyas) ने बताया कि उन्होंने गत 30 वर्षों से इसकी आराधना की है विवाह गीत, हिंदी गीत, संतवाणी, भजन, कीर्तन, सिंधीगीत, तथा श्रद्धांजलि जैसे कार्यक्रमों में शामिल होकर समयानुसार संगीत का समाबाध देती हैं
एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि संगीत में ऐसी शक्ति हैं कि वह बीमार व्यक्ति को भी स्वस्थ कर सकता है यह आराधना है, देवपूजा है इसके श्रवण से व्यक्ति प्रफुल्लित होता है नये विचारों से परिपूर्ण होता है नयी चेतना के जीवन के पथ को संवार कर आगे बढ़ता है और प्रगति का मार्ग प्रशस्त करता ही चला जाता है
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