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हेपी मेरिज़ (Happy life) बिलकुल संभव है: ट्राय करके देखें

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इति शुक्ला, क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट
Happy life: दूसरों की मौजूदगी में अपने जीवनसाथी न कभी डांटें, और न ही कभी उसे इस प्रकार टोकें कि उसे शर्मिंदा होना पड़े। यदि ऐसी जरुरत पड ही जाये, तो उसे एकांत में कहा जाना चाहिये, न कि किसी अन्य के सामने। 

Happy life:जीवन का एक सीधा-सादा सच यह है कि किसी भी रिश्ते को बनाए रखने के लिए कड़ी मेहनत की नहि,  सही नीयत और ध्यान की आवश्यकता होती है । वैवाहिक संबंधों के लिए इन दोनों का लगातार रहना  अनिवार्य  है क्योंकि इन्हीं के जरिये पति और पत्नी के बीच आपसी सूझ-बूझ स्थापित हो पाती है।  इनके बिना वैवाहिक सुख प्राप्त होना असंभव हो जाता है।

विवाह एक पुरुष और एक महिला के बीच सहवास के लिए मात्र एक सामाजिक अनुबंध नहि होता। उसमें उनके  दो अलग-अलग व्यक्तित्वों का समन्वय भी होता है जिसकी सफलता और स्थिरता के लिये उनके बिच अच्छे सामंजस्य की आवश्यकता होती है,  जिसके चलते दोनों के बीच अंतरंग विचारों, भावनाओं और अनुभवों का संतोषप्रद आदान-प्रदान हो पाता है। भारतीय विवाह में पति-पत्नी के उपरांत उनके परिवारों के बिच भी घनिष्ठ संबंधों को निभाना होता है, जिसके लिये दोनोंको  कई अतिरिक्त पारिवारिक अपेक्षाओं को पूर्ण करना अवश्याम्भावी होता है, और यह, तभी संभव हो पाता है  जब दोनों के लक्ष्योंमें एकरुपता हो।

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कई जोड़े इस महत्वपूर्ण समन्वय को स्थापित नहि कर पाते, जिस वजहसे उनके दरम्यान डिफ़्रन्सिस बढते चले जाते हैं और डायवोर्स ही एकमात्र विकल्प नजर आने लगता है। इसी कारण तलाक की संख्या बढ़ रही है, जिसे रोकने के लिए  विवाहित जोडों में शादी की सफलता (happy life) के कुछ मूल सिद्धांतों के बारे में जागरुकता खडी करना जरुरी है ताकि दोनों आपसी समस्याओं को समझकर उचित कार्रवाई कर सकें। आधुनिक जीवन शैली उपलक्ष्य में निम्नलिखित टिप्स सहायक हो सकते हैं।

वैवाहिक जीवन को सुखी (happy life) बनाने के टिप्स

1. वाद-विवाद या मत-मतांतर की स्थितिमें भी दोनों के बीच कोम्युनिकेशन अर्थात बात-चीत की प्रक्रिया सहजतासे जारी रखनी चाहिए। इसके लिए दोनों का रवैया सरल और खुला होना चाहिए। आज की बिझी और फ़ास्ट लाइफ़ में विवाह में वैवाहिक अनुकूलन के लिए दोनों के बिच बुनियादी भावनाओं और विचारों की उचित अभिव्यक्ति होती रहे यह बहुत आवश्यक है।

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2. जीवनसाथी से यह अपेक्षा नहीं की जानी चाहिए कि वह आपकी भावनाओं को अपने आप समझ जाये और स्वयं आपकी इच्छा के अनुसार व्यवहार करता रहे। यदि वह अपने व्यक्तिगत विचारों या भावनाओं को आपके सामने व्यक्त न करे है, तो इसका कारण यह भी हो सकता है कि उसे डर  हो कि सच बताने पर आपके दिल को ठेस पहोंचेगी या बूरा झटका लगेगा। आप को सच को बता पाने की उनकी क्षमता या उसे सह पाने की आपकी क्षमता पर विश्वास न हो, तो से चुप रहना ही मुनासिब लगेगा। अगर आपके रवैये में उसे खुलापन और लचीलापन नजर आयेगा, तो सही अभिव्यक्ति के लिए उसकी ओरसे स्वत: पैरवी होगी।

3.दो बुद्धिमान व्यक्तियों के बीच किसी भी विषय पर असहमति होना स्वाभाविक है लेकिन उसका समाधान भी खोजना जरुरी हो जाता है, जिसके लिये उसके साथ जुडे हुए सभी पहलुओं पर खुले मनसे शांतिपूर्ण चर्चा होनी चाहिए और बीच का रास्ता ढूंढकर समस्याका निवारण करना चाहिए।

4. ज़ीवन साथी से अपेक्षा कम करें और आपके अनुकूल हो ऐसी उसकी सभी चेष्टाओं की सराहना अधिक से अधिक करें।

5. इस बात का विशेष ध्यान रखें कि हमेशा वाणी और व्यवहार में पति-पत्नी के रिश्ते की गरिमा और मर्यादा बनी रहे। मन, वचन और कर्म से परस्पर सम्मान बनाए रखने के लिये प्रतिबध्ध रहें।

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6. अगर अनियंत्रित छोड़ दिया जाए, तो एक व्यक्ति का ईगो या अहंकार शादी के लिए एक बड़ा राक्षस बन जाता है। एक सफल शादी में  पति और पत्नी एक-दूसरे को सच्चे दिलसे चाहते हैं और दोनों के दरम्यान असीम प्यार और निष्ठा  की भावना बनाए रखते हैं। उनका परस्पर व्यवहार एक-दूजे का इस प्रकार पूरक होता है कि वे हमेशा एक-दूसरे के सर्वोत्तम गुणों और क्षमताओं को बढावा देते हैं और उजागर करते हैं। दोनों के बीच का वातावरण बहुत सकारात्मक, मुक्त, खुला और सौहार्दपूर्ण रहता है। वे एक-दूसरे की सराहना करते हैं और सदैव यह खयाल रखते हैं कि उनके बीच ईगो या अहंकार के टकराव खडे ही न हों ।

7. फ़ुर्सत के समय को यथासंभव साथ गुजारें जिस दौरान दोनों मिलकर ऐसी प्रव्रुत्तियां करें जिसमें दोनों की दिलचश्पि हो, जैसे कि मोर्निंग/इवनिंग वोक पे जाना, पुरानी फिल्में या कॉमेडी प्रोग्राम देखना, एक साथ नई रेसिपी बनाना, फ़ेवरिट म्युझिक सूनना, साथ-साथ गाना-बजाना, वगैरह। पसंदीदा गतिविधियों को एक साथ करना हमेशा अच्छा और सुखद होता है जो पति-पत्नी के रिश्ते को बहुत स्पेश्यल बना देता है। मिलकर आनंद लेना भी एक कला है जिसे बार-बार झघडा करनेवाले जोड़े अगर सीखें लें तो उनकी सारी समस्याएँ दूर हो सकती हैं ।

8. दूसरों की मौजूदगी में अपने जीवनसाथी न कभी डांटें, और न ही कभी उसे इस प्रकार टोकें कि उसे शर्मिंदा होना पड़े। यदि ऐसी जरुरत पड ही जाये, तो उसे एकांत में कहा जाना चाहिये, न कि किसी अन्य के सामने। 

9. पार्टी, मैरिज रिसेप्शन या किसी अन्य समारोह में जब आप फ़्रेंड्स और कलीग्स से मिलें तब स्वयं अपने जीवनसाथी का परिचय सभीसे करवायें। आपकी इस चेष्टा से उसे अच्छा लगेगा और उसकी ओर से आपके रिश्ते को निभाने के लिए सहयोग भी अपने आप मिलेगा।

10.निरंतर समन्वय और आपसी समझ-बूझ से सभी पति-पत्नी वैवाहिक जीवन को स्वर्गीय बना सकते है और इस कहावत को यह वास्तव में साबित कर स्कते हैं कि “मैरेजिस आर मेइड इन हेवन”! जस्ट ट्राय करके देखें !

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